Neha Mishra   (स्वअनुभव की स्याही से✍🙏)
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Joined 1 April 2017


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28 MAY 2017 AT 19:57

Talim to maine bhi,

harneki hai nahi payi,

Par Kuchh kismatki maari mai,

apnose hi haar ayi........

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28 MAY 2017 AT 19:53

जाने कौन सी ऐसी,
भूल हो गई मुझसे,

की मेरे कान्हा ने भी आज,
मुझे खुदसे दूर कर दिया.......😖

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19 MAY 2017 AT 23:31

प्रेम यही केवल,
हमारे जीने का मक्सद है।
पर जो हमे पथ से भटकाती हो,
ऐसा प्रेम नही।

मै नदी की धार हूँ,
मुझे बस बहते रहना है।
मै एक ऐसी प्रवाह हूँ,
जिसे कभी न रुकना है।

लाख तुफाँ आएँगे,
मुझे पथ से भटकाएँगे।
मेरी मँजिल की राह मेँ,
चट्टानोँ से ठहर जाएँगे।
पर मैं इतनी नादाँ नही,
वे मुझे भी राहेँ बदलता पाएँगे।

मौसम से वो बदल जाएँगे,
घटा भी काले मुझपे मँडराएँगे।
पर हटा कर सभी काली छटाओँ को,
सुहाना मौसम हम फैलाएँगे।........

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19 MAY 2017 AT 16:32

किसी को किसी से नफ़रत हो गई है,
किसी को किसी से मुहब्बत हो गई है,

लगता है कहीं कुछ अनोख़ा होने वाला है.....

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14 MAY 2017 AT 18:36

माँ के बगैर ज़िदगी अधूरी है.....


( माँ की ममता को पढ़ने के लिए कृपया कैप्शन मे देखें)

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6 MAY 2017 AT 16:37

क्षण-क्षण पर ज़िंदगी क्षत्रिय बना रही है,

जैसे किसी जंग की तैयारी क़रा रही है......

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21 APR 2017 AT 22:52

रोज-रोज पन्नों को तुम्हारे,
खोल-खोल देखा करती हूँ,
क्या बुरी क्या अच्छी बातें,
कहीं तुमने खोजा करती हूँ,
ना जाने ये कैसा रिश्ता,
हमने बुना सोचा करती हूँ,
दूर न हो जाओ तुम मुझसे,
बस इस बात से मै डरती हूँ............१

नेह भरी अँखियों में अपने,
नेह तुम्हारे लिए रखती हूँ,
एक झलक तुम पास तो बैठो,
बस यही आशा बुनती हूँ,
कभी तो हलक से कुछ छलकेगा,
यही राह देखा करती हूँ,
दूर न हो जाओ तुम मुझसे,
बस इस बात से मै डरती हूँ.............२

(अधूरी है, जल्द पूरी हो जाएगी)

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15 JUL 2021 AT 8:41

क्यूँ ना! ज़िंदगी से दो- चार गुफ्तगू कर लें,
सुना है,
आजकल इसका दिल, दिल में ही नहीं लगता !❤️
नेहा मिश्रा (नेह)

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2 JUL 2021 AT 22:36

उन ख़यालों के चराग़ कब के बुझ चुके हैं,
जिनके जलने से ज़िंदगी रौशन हुआ करती थी।

नेहा मिश्रा (नेह)

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17 JUN 2021 AT 12:20

गज़ब के किस्से सुनाते हैं वो लोग, 
जो खुद कभी किसीके काम आते नहीं,
औरों की तकलीफ देख वो भी हँस पड़ते हैं,
जो कहते हैं हम बेवजह मुस्कुराते नहीं। 
नेहा मिश्रा



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