Talim to maine bhi,
harneki hai nahi payi,
Par Kuchh kismatki maari mai,
apnose hi haar ayi........-
और मानव सेवा से सच्चा कोई कर्म नही..........@ नेह@
Writer, sin... read more
जाने कौन सी ऐसी,
भूल हो गई मुझसे,
की मेरे कान्हा ने भी आज,
मुझे खुदसे दूर कर दिया.......😖-
प्रेम यही केवल,
हमारे जीने का मक्सद है।
पर जो हमे पथ से भटकाती हो,
ऐसा प्रेम नही।
मै नदी की धार हूँ,
मुझे बस बहते रहना है।
मै एक ऐसी प्रवाह हूँ,
जिसे कभी न रुकना है।
लाख तुफाँ आएँगे,
मुझे पथ से भटकाएँगे।
मेरी मँजिल की राह मेँ,
चट्टानोँ से ठहर जाएँगे।
पर मैं इतनी नादाँ नही,
वे मुझे भी राहेँ बदलता पाएँगे।
मौसम से वो बदल जाएँगे,
घटा भी काले मुझपे मँडराएँगे।
पर हटा कर सभी काली छटाओँ को,
सुहाना मौसम हम फैलाएँगे।........-
किसी को किसी से नफ़रत हो गई है,
किसी को किसी से मुहब्बत हो गई है,
लगता है कहीं कुछ अनोख़ा होने वाला है.....-
माँ के बगैर ज़िदगी अधूरी है.....
( माँ की ममता को पढ़ने के लिए कृपया कैप्शन मे देखें)-
क्षण-क्षण पर ज़िंदगी क्षत्रिय बना रही है,
जैसे किसी जंग की तैयारी क़रा रही है......-
रोज-रोज पन्नों को तुम्हारे,
खोल-खोल देखा करती हूँ,
क्या बुरी क्या अच्छी बातें,
कहीं तुमने खोजा करती हूँ,
ना जाने ये कैसा रिश्ता,
हमने बुना सोचा करती हूँ,
दूर न हो जाओ तुम मुझसे,
बस इस बात से मै डरती हूँ............१
नेह भरी अँखियों में अपने,
नेह तुम्हारे लिए रखती हूँ,
एक झलक तुम पास तो बैठो,
बस यही आशा बुनती हूँ,
कभी तो हलक से कुछ छलकेगा,
यही राह देखा करती हूँ,
दूर न हो जाओ तुम मुझसे,
बस इस बात से मै डरती हूँ.............२
(अधूरी है, जल्द पूरी हो जाएगी)-
क्यूँ ना! ज़िंदगी से दो- चार गुफ्तगू कर लें,
सुना है,
आजकल इसका दिल, दिल में ही नहीं लगता !❤️
नेहा मिश्रा (नेह)-
उन ख़यालों के चराग़ कब के बुझ चुके हैं,
जिनके जलने से ज़िंदगी रौशन हुआ करती थी।
नेहा मिश्रा (नेह)-
गज़ब के किस्से सुनाते हैं वो लोग,
जो खुद कभी किसीके काम आते नहीं,
औरों की तकलीफ देख वो भी हँस पड़ते हैं,
जो कहते हैं हम बेवजह मुस्कुराते नहीं।
नेहा मिश्रा
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