काश के तुम भी किताब से होते
जब चाहें सीने से लगा लेते ।।-
Gaurav Hindustani
(शर्मा गौरव हिन्दुस्तानी)
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परिन्दा हूँ आसमान तो लेकर रहूंगा,
समझौता कैसे कर लूँ मैं ज़मीं पर रहूंगा ।
ONE DAY MY SIGNA... read more
समझौता कैसे कर लूँ मैं ज़मीं पर रहूंगा ।
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Joined 18 April 2018
AN HOUR AGO
सांसे उसके लिए
धड़कन उसके लिए
दिल जिगर जान उसके लिए
और रह क्या गया
जो दें उसके लिए ।-
5 HOURS AGO
हमको यहां कौन मानता है
दोस्त अपना, मानों तो ज़माना अपना
न मानों तो सब ग़ैर ।-
7 HOURS AGO
सुबह भी क्या खूब है
कोई ईश्वर को याद करता है
कोई गुरु को याद करता है
और कोई अपने
प्रेम को याद करता है।-
YESTERDAY AT 14:45
राहों का सम्मान करो मंज़िल से ज्यादा
क्योंकि मन्ज़िल बाद में आतीं हैं
राहें पहले आती हैं ।-