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Priyanka Kanwliya
(© प्रियंका_कांवलिया)
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‘किसी और का चरित्र छपा है’ कथन मिथ्य है।
मेरी कविताएं केवल मेरा विलक्षण “हृदय” है।।
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‘किसी और का चरित्र छपा है’ कथन मिथ्य है।
मेरी कविताएं केवल मेरा विलक्षण “हृदय” है।।
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Joined 20 November 2018
10 SEP 2024 AT 16:54
मैं हांसती थारे आँगने में,
बोल-बतळ करती,
कदी पोन्वती रोटियां,
कदी ख़ाला घङिया भरती,
कदी सूरज टांगती,
कदी चांद उतार लांवन्ती,
थे नेङै रेन्वता मेरे हूं बात करता,
कदी दिनगै पेळी, तो कदी रात करता..
टमरकूं टू आळी कविता,
राजा–राणी आळी कहाणी हौन्ती,
जै थै मेरा हौन्ता,अर
मैं थारै घर गी धिराणी हौन्ती,
मैं थारै घर गी धिराणी हौन्ती,-