खामोश रह कर भी हँसना सिख लिया । तन्हाईयों से मोहब्बत करना सिख लिया हमने ।। दर्द को मुस्कुरा कर सहना भी सिख लिया । काटों को मखमल बना जीना भी सिख लिया हमने ।।
कौन तुझे समझाए ..!! हम कहां चोट खाए हुए हैं ..!! घायल इस कदर ..!! जख्मों पर मरहम नहीं..!! आंखों से रिस कर गिर रहे सपने..!! धूल के गले मिले हैं..!! कौन तुझे समझाए..!! कांटो की राहों से गुजरे ..!! मुसाफ़िर जो ठहरे हम..!!