उदासी से पूछो वफ़ा की कहानी,
लबों पे शिक़ायत ये आंखों में पानी.!
तुम्हे क्या खबर है मेरी मुश्किलों की,
सज़ा से भी बदतर हुई जिंदगानी..!
जमाने को क्यों दास्तां हम सुनाएं?
वो बेहाल बचपन परेशान जवानी..!
छलकते ये आंसू बताते हैं यारों,
दफ़न है यहां दास्तान एक पुरानी..!
ये गजलें ये नज़्में हैं सौगात ग़म की,
स्वतंत्र क्या मैं लिखता मेरी बदगुमानी.!
सिद्धार्थ मिश्र
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