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18 MAR 2020 AT 13:51
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(Read in caption)
वेतन पुनरीक्षण
(अनुशीर्षक में पढ़ें)-
16 JAN 2017 AT 19:26
मैं शायद तुम्हारी किताब का अधूरा पन्ना थी,
तुम मेरी मुक़म्मल कहानी थे....
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22 DEC 2018 AT 8:06
उदासी से पूछो वफ़ा की कहानी,
लबों पे शिक़ायत ये आंखों में पानी.!
तुम्हे क्या खबर है मेरी मुश्किलों की,
सज़ा से भी बदतर हुई जिंदगानी..!
जमाने को क्यों दास्तां हम सुनाएं?
वो बेहाल बचपन परेशान जवानी..!
छलकते ये आंसू बताते हैं यारों,
दफ़न है यहां दास्तान एक पुरानी..!
ये गजलें ये नज़्में हैं सौगात ग़म की,
स्वतंत्र क्या मैं लिखता मेरी बदगुमानी.!
सिद्धार्थ मिश्र
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30 JUN 2018 AT 16:38
उन दो पंक्तियों में
मैंने अपनी पूरी कहानी लिख दी |
" मौत बड़ी पास से गुजरी ,
जिन्द़गी ने होंठों पर झूठी मुस्कुराहट रख दी |
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