Sulekha Pande   (Sulekha Pande)
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Passionate reader, writer by profession. Animal lover and protector.
Joined 5 December 2016


Passionate reader, writer by profession. Animal lover and protector.
Joined 5 December 2016
9 FEB 2017 AT 21:57

Ohhh!!!!
The entire sweetness,
of the whole world,
in one picture....

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19 JAN 2017 AT 12:50

मोहब्बत करो तो इतनी करो,
कि शिद्दत भी पनाह मांगे,
मोहब्बत करो तो इतनी करो,
कि जिस से भी करो,
आपको कभी भूल न पाये,
मोहब्बत करो,
तो कहो,
ज़ाहिर करो,
बता दो....
टूट कर चाहो,
लेकिन बदले में,
कभी किसी चीज़ की तमन्ना न रखो,
मोहब्बत न ही पाने का नाम है,
न ही खोने का,
मोहब्बत सिर्फ़ एक जज़्बा है....
इसे समेटे रहो,
आजीवन,
अपने भीतर....
और ख़ुश रहो,
कि तुमको भी मोहब्बत है....

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16 JAN 2017 AT 19:26

मैं शायद तुम्हारी किताब का अधूरा पन्ना थी,
तुम मेरी मुक़म्मल कहानी थे....

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14 JAN 2017 AT 21:39

There are two ways to live,
either keep looking for someone,
to brighten your world,
or, be the light in someone's life,
and,
brighten their's.....

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14 JAN 2017 AT 21:36

इतनी चमक दमक के बीच,
तनहाइयों के शोर,
चकाचौंध, भागती, दौड़ती ज़िन्दगी के,
कुछ पल चुराते लोग,
इतनी भीड़ भाड़ के बीच,
अकेलेपन के दर्द को सहते लोग,
इतना सब है भरा भरा सा,
फिर भी खाली खाली से लोग....
एक चेहरे पर,
लगाये हुये,
कई कई मुखौटे,
कुछ झूठे, कुछ सच्चे आँसू,
कुछ सच्चे, कुछ झूठे लोग....

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11 JAN 2017 AT 12:48

तुम से तुम तक,
एक गहरी उदासी,
एक चुप्पी,
एक सन्नाटा,
यादें थीं भी तो कितनी?
चंद झिलमिलाते सितारे,
एक अदद पूरनमासी का चाँद,
वो भी नदी के जल में डूबा हुआ सा,
एक मुट्ठी रेत,
दो अंजुलिभर यादें,
कुछ सुर,
संगीत के,
चंद बातें,
थोड़ी सी नमकीन हँसी,
थोड़े से मीठे आँसू...
बस...
और था ही क्या हमारे दरमियाँ?
कब भी क्या है?
सिवाय एक गहरी चुप्पी के?

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10 JAN 2017 AT 13:40

Damn it, the afterlife sucks too.........

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10 JAN 2017 AT 12:37

जब ज़बरदस्ती से बांधे गए ,
कच्चे टांकों से टाँके गए ,
रिश्तों की सीवन उधड़ती है ,
तो सबसे पहले उसमें से रिस कर,
प्यार ,विश्वास , ममता
और स्नेह निकल जाते हैं ...

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9 JAN 2017 AT 13:03

एहसास तुम्हारा,
जैसे गुनगुनी धूप,
जैसे एक शांत झील,
एहसास तुम्हारा,
जैसे सबसे ऊंचा,
पेड़ देवदारु का,
खुला आसमान,
नीला, निरभ्र,
एहसास तुम्हारा जैसे,
भटके मन का साहिल,
गुंथे हुए थे कई कई सपने,
तुम्हारी सुनहरी आवाज़ के जादू में.
एक मृगतृष्णा,
एक छलावा,
दूर से आती हुयी पुकार थे तुम,
मेरे मन के किसी कोने से निकली हुयी,
एक शाश्वत किरण,
एक आश्वस्ति,
एक भ्रम,
एक भंग स्वप्न.....

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5 JAN 2017 AT 12:11

Life's nothing but a chain of events,
your actions and reactions to situations.

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