मिटाया तुमने मुझको अपनी ज़िंदगी से इस क़दर,
मौत ने मिटाया हो निशान गुनाहों का जिस क़दर।
यूँ छू कर गुज़रा था मोहब्बत का कारवाँ,
मानो पतझड़ ने किया था ख़्वाबों को रवाँ।
सूखे शजर पर बैठी रहीं उम्मीद की टहनियाँ,
जड़ो की कमज़ोरी सुना बैठी ज़ाहिर सी दास्ताँ।
हवाओं ने रुख मोड़ा फिर सर्दियों की ओर,
ठंड में ठिठुरती रही इश्क़ की वो डोर।
जला कर जज़्बातों को नफ़रत की चिंगारी में,
अस्तियों को विसर्जित कर दिया आँखों के द्वारे।
मुल्ज़िम को रिहा कर, छोड़ दिया मुक़द्दर के आगे,
इंसाफ़ करेगा ख़ुदा एक रोज़, नहीं वो ख़ुदा से आगे।-
कर्म हमारा परिचय है..
कर्मशीलता से आच्छादित, परिवर्तनशील जीवन...
प्रतिष्ठा की मही में, कर्मण्यता से तृप्त यौवन..
आनन्दमयी नित् भिनसार, सुन अरुनशिखा का नाद कर्म पथ पर गमन..
तीव्र धूप में श्रमवारि बहाता, तद्पश्चात गोधूलि क्षण में रमा आगमन..-
नाम ख़ुदा का लेकर तुम 'पुण्यात्मा' एक पत्थर को फूलों में सजाते रहे,
क्या काॅंटों की सेज पर लेटे अर्द्धनग्न की सिसकियाॅं तुम्हे सुनाई ना दीं?-
वक़्त वक़्त की बात है
चाहे अच्छा हो या बुरा
हर किसी को अपने कर्मो का फल मिल जाता है
ऐ! इंसान अपने कर्मो से वंचित ना रहना
सदा बुरे कर्मो से दूर रहना
मत करना किसी का बुरा अपने स्वार्थ के लिए
क्योंकि खुदा की लाठी में आवाज़ नही होती
अच्छे कर्मों की गठरी बांधता चल
सब्र कर जाने किस मोड़ पर
तुम्हारे अच्छे कर्मो का फल या खुदा का कोई रूप मिल जाये
जाने कब तुम्हारी ज़िन्दगी को जन्नत मिल जाये!!!!
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मुश्किलों को हौसले से, वो आसान बनाता है।
हारता नहीं अंधेरों से जो, वो पहचान बनाता है।
खटता है दिन रात खेतों में, पसीनें में लथपथ
हमारे खुराक का अन्न, जो किसान बनाता है।
फसल खराब हो तो, रोटी अखरती है उसको
निगरानी करने को खेत में, वो मचान बनाता है।
बारिश में छत टपकती है, उस मजदूर की
शहर में दूसरों के जो, बड़े मकान बनाता है।
रेखाएँ क्या कहती हैं, क्यूं उलझे हो "नवनीत"
अपने कर्म की रेखा, तो खुद इंसान बनाता है।-
वो ही दाना भी देगा,जिसने चोंच दी है
इस अफ़वाह ने चिड़िया की जान ली है,
इबादत ना हो पायेगी अब हमसे तो
भूखी अँतड़ियों ने ये ज़िद ठान ली है।-
व्यक्तित्व का धनी हों सकता हैं वो व्यक्ति
जो कर्म और भाग्य के मेल को जानता हैं-
दूसरों की छोड़ ज़रा ख़ुद का मुआयना कर लो
दूसरों की छोड़ अपनी ज़िद का सामना कर लो
ज़िन्दगी तो बहुत से अक़्स दिखायेगी इक दिन
दूसरों की छोड़ अपनी हद तक आइना कर लो
आंधी जब आती है तो सब उड़ जाया करता है
दूसरों की छोड़ अपनी अहद की कामना कर लो
दिल जीतने का हुनर सबके पास होता है लोगों
अपनी मुस्कान से मुट्ठी में सारा ज़माना कर लो
दूसरों की भलाई के लिए देखा करो ख़्वाब अब
अपने ख़्वाबों में अब रात का अफ़साना कर लो
आराम से सब हो जाएगा जल्दी न करना कभी
कर्म कर अपने मन में मंज़िलों को पाना कर लो
ज़िन्दगी ज़िन्दा-दिली का नाम है यहाँ "आरिफ़"
सबको परख सको बुलन्द अपना पैमाना कर लो
जो किसी का ना हुआ वो "कोरा काग़ज़" होता है
ज़िन्दगी में डूबकर अपने नाम मयखाना कर लो-
इसे समर्पण कर्तव्य हमारा है...
ये हमारी परीक्षा जीवन की...
यदि अटल रहा!हे कर्मयोगी...
निश्चित ही तेरी विजय होगी...📯-