(एक प्रेम कहानी के माध्यम से राजस्थान के मुख्य मेलों का वर्णन)
मेला
💟💟
भरतरि रे मेला मा मौको मिलग्यो पिछाण को
यूपी की छोरी नै भाग्यो छोरो राजस्थान को
आँखड़ल्या लड़गी दोन्यूँ की अंइयाँ खेला खेला मा
प्रीत रो भूत चढ़्यो मेंहदीपुर बालाजी रा मेला मा
सीकर रे मेला मा म्हनें होगी सुबह सूँ शाम जी
अब तो म्हारो मिलन करा द्यो म्हारा खाटूश्याम जी
बीकानेर मेला में ज्यांसा भोग लगावा काबा नै
करणी माता मेहर करेगी दौन्यूँ नै मिलावा नै
मेलो ब्रह्मा जी रो लाग्यो पुष्कर तीरथधाम मा
साँची प्रीत रो मिलन लिखो ब्रह्मा जी म्हारा भाग मा
भरै करौली मा मेलो म्हारी कैलादेवी मैया रो
माता रो आशीष खैवैया म्हारी प्रीत री नैया रो
महावीर जी रे मेला मा थारे लारे आगी मै
थारो म्हारो मिलण करा दियो महावीर बैरागी नै
मेला नै गणगौर का सिंदूर बणा दियो माँग को
यूपी की छोरी नै मिलग्यो छोरा राजस्थान को
-
वो मोह्बत है मेरे साथ
मैं मटरगस्ती में रहता हूँ
मैं जज्बाती लहरों से वाकिफ हूँ
उन बाहों की कस्ती में रहता हूँ-
नींव चढ़ाई बिका जी,गोरे धोरां रे बीच
करणी सवायो बीकानेर,वैशाख सुदी बीज-
नहसो तो नेड़ी घणी, बिन निष्ठा मां दूर
आस्था वाळे हैलिये, आवे मात जुरूर-
देशाणा रे देश में , माटी री ज्यूं मान
चरण कमल मां आपरे, बगसाज्यो स्थान-
इण कलजुग में जो रटे, रिद्धु नाम रो राग
भवसिंधू न पार करे, माणस मोटा भाग-
वंश ऊँचा डोकरी रा, सिरदार देपावत काबा कहलावे,
विणति साची रावलो री, सिरदार विशावत थाने ध्यावे
ओरण री परिक्रमा में भक्त, घणी करे अरजा थारी,
गढ़ समदड़ी में उबा भक्त, रोज गावे चिरजा थारी
- Pŕãdeep sîñgh vishawat
-
माता मेरी बिराजे देशनोक के दरबार,
जगमग जगमग जोत जली है, रोशन हो रहे चिराग
देवे दर्शन मेरी माता करनल किरयाणी माई,
भोग लगावा दुध पतासा नारियल मायड़ देवी,
आप देवो सा सब ने दर्शन, सिद्ध करो हर काज,
आँगणा मस्ती में झूमे काबा काबावाली माता,
माँ करणी धारण कर त्रिशूल काटो कष्ट,
मायड़ मेरी गरूड़ सवार लागे करुणामयी माय,
माता जै भक्त जनन भय संकट में,
पल छिनमे हरणी मेरी करणी माता,
मायड़ आपकी दिव्यता को कै करू मैं बखाण,
करणी रूप काली किरपाली भवानी,
दुर्गे दुःखहरणी दिव्य चंडी चिरताली,
आप ही ब्रह्माणी वरणी करणी भवानी,
जय हो माँ करणी ॐ जय अम्बे करणी,
मैया जय अम्बे करणी जगदंबा भवानी,
आप हरो सब भक्तन जनन भय संकट,
पल छिनमे हरणी जय माँ करणी..✍🏼🐦-
चित्त डिगतों हिय हारतों, विचले मन जिण बार।
आतम बल राखै अडिग, करणादे किरतार।।-
सप्तम शुक्र को जन्मी,,करणी जगत जननी
मेहा जी थे पिता मात के देवल दुःख हरनी
सात मास मे नहीं जन्मी,,नहीं जन्मे 14 मास
21 मास में जन्म लिया करणी मां थी ख़ास
रूपवती नहीं भवानी मुख काला धरनी
सप्तम शुक्र को जन्मी,,करणी जगत जननी
प्रतिभा सिंह चौहान-