Mahendra S. Narawat   (महेंद्र ''मरूद्भिद')
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Joined 17 October 2017


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Joined 17 October 2017
28 MAR 2022 AT 16:21

लोगों को खुशनुमा मेरा हाल लगता है।

मुझे मेरा अभिनय कमाल लगता है।— % &

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10 FEB 2022 AT 19:44

डर लगता है तब समाज याद आता है,
समाज याद आता है तब डर लगता है।— % &

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4 FEB 2021 AT 19:19

अगर आपको लगता है कि आपके सामने असामान्य परिस्थितियां और असाधारण संकट आते है तो इसका मतलब है आप असाधारण इंसान हो। भाग्य विकट हालात दिखाता है क्योंकि विधाता जानता है कि आप में जीवटता व लड़ने की क्षमता है।

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30 JAN 2021 AT 17:13

उठा यूँ मीठी नींद से,
कि कोई सदा दे गया।
याद की बुझती आग को,
स्वप्न हवा दे गया।

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31 DEC 2020 AT 14:52

बहुधा सुख वर्तमान नहीं होता, वो होता है भविष्य की कल्पनाओं में अथवा अतीत की स्मृतियों में।
यही सीखाया है हमें बीतते वर्ष 2020 ने जिसके आगाज और 2019 के अंत में हमारे पास बहुत कुछ संतोषजनक था, और जो संतोषजनक नहीं था वो थी आकांक्षाएँ, कामनाएं, अपेक्षाएँ। हमें चाहिए था 20 में उससे भी कुछ सवाया कुछ अति। पर जब 20 ने अपना रंग दिखाया और समेटकर रख दिया हमें एक परिधि में तो याद आने लगे पुराने सुख के दिन। और अब 2021 हेतु प्रार्थनाओं में सभी के लिए ज्यादा कुछ कामनाएं नहीं है, केवल इतनी ही है कि सब कुछ पहले जैसा हो जाए जैसा 2019 के अंत तक था।

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2 NOV 2020 AT 19:52

रचियो तन लट्टू त्रिपुरारी, प्राण लपेटी डोर।
जीव पटल पर घूमसी, जितरो लागो जोर।।

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31 OCT 2020 AT 15:12

ना शजर ना छांव कोई, ना मरहले इस डगर में है।
ये कौनसी मंजिल है यारों कि जिसके हम सफर में है।।

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12 OCT 2020 AT 18:28

प्यार एक पवित्र अहसास है।
जिसका आधार
परवाह और विश्वास है।

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8 SEP 2020 AT 12:40

राखौ कोइयक रोड़ ने, खरो ज काढो खोद।
मिनखापण इण मुलक सूं, गयो रसातळ गोद।।

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5 SEP 2020 AT 15:41

शिक्षा शब्द से आशय केवल संस्थागत शिक्षा नहीं है और ना ही शिक्षण कार्य संस्थाओं की परिधि तक सीमित है। जीवन के हर मोड़ पर मिली सकारात्मक ऊर्जा जो हमारे जीवन को एक नया मोड़ देती है एक कल्याणकारी परिवर्तन लाती है वही शिक्षा है। हर वो व्यक्तित्व जिनके संपर्क में आ कर हमें नई ऊर्जा, नई सीख मिलती है वो ही हमारे लिए शिक्षक है, सही अर्थों में गुरु हैं। परंतु जीवन में मिले इन तमाम गुरुजनों में कुछ व्यक्तित्व इतने विराट होते हैं कि उनका सानिध्य मात्र जीवन में एक क्रांतिकारी परिवर्तन ले आता है, जिनकी आभा से ही हमारे जीवन से अज्ञानता का अंधेरा छंटने लगता है। और अति भाग्यशाली होते हैं वो लोग जिन्हें जाने अनजाने ही इन महापुरुषों का सान्निध्य और स्नेह प्राप्त होता है। आज शिक्षक दिवस के अवसर पर मैं मेरे इन्हीं गुरुजनों को दण्डवत प्रणाम करते हुए अपने भाग्य की सराहना करता हूँ कि मुझे आपका सानिध्य, स्नेह व आशीर्वाद प्राप्त हुआ। आपके सानिध्य ने मेरे जीवन को नई दिशा प्रदान की है और आशा करता हूँ आगे भी मुझे आपका आशीर्वाद यूँ ही मिलता रहेगा।

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