07/02/2020
डायरी के एक पन्ने से ✍️-
Praveen Saa Shekhawat
(प्रवीण सा)
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Joined 17 June 2020
11 JUL 2020 AT 19:48
छम छम नाचे मोरिया, कल कल बरसे मेह
घूमर घाले बाजरो, देखूं घणे स्नेह-
7 JUL 2020 AT 20:24
तपती तृषित मेदिनी, करती करुण पुकार
आओ प्यारी बादळी, घणी करूं मनवार-
30 JUN 2020 AT 23:32
सुरगां स्यूं भी सोवणो प्यारो मढ़ देशाण
बैठी मोटी मावड़ी, करे पूरा अरमाण-
28 JUN 2020 AT 16:13
गुजर भी जाते है ये लम्हे, जब तू होता दाखिल है
तूम्ही बता दे सिवा तुम्हारे, कौन जो होता शामिल है-
28 JUN 2020 AT 14:06
ध्यान धरके सुनो बंशीदों
शहर में नया मुसाफिर हूं
राहें भटक गया हूं मै
ना समझो कि मैं काफिर हूं
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23 JUN 2020 AT 22:11
भाव भरोसे भगवती लेवूं नित बतियाय
मन मंदिर रे मायने बसे सगत सुरराय-
22 JUN 2020 AT 10:07
इण कलजुग में जो रटे, रिद्धु नाम रो राग
भवसिंधू न पार करे, माणस मोटा भाग-
21 JUN 2020 AT 17:59
ख्वाहिशां रे कारणे, करनी थी दो बात
दर्शन थारा पायके, भूल्यो म्हारी मात-
20 JUN 2020 AT 22:14
राख भरोसो मात पे, जाऊं मढ़ देशाण
लाड लडावे मावड़ी, कपोत करे अगवाण-