Pradeep singh vishawat   (Pŕãdeep sîñgh vishawat)
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-: मेरे अल्फाज़ ही मेरी पहचान :-

विशावत वंशज
जय करणी 🤲
जय श्री कृष्णा 🤲🤲
राजस्थान
Joined 18 April 2019


-: मेरे अल्फाज़ ही मेरी पहचान :-

विशावत वंशज
जय करणी 🤲
जय श्री कृष्णा 🤲🤲
राजस्थान
Joined 18 April 2019
27 AUG 2021 AT 18:51

मंज़िल फ़क़त खुद की खुशी की हो..
तो बेशक़ काँटों से भरा रास्ता होगा

क़म्बख्त मंज़िल ही ज़ब कोहिनूर हो
तो बेदर्द काँच पर चलना सीखना होगा

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14 AUG 2021 AT 21:38

तुम बेवजह भी जाना मुझसे रूठ
मैं हर सांस हर पल तुम्हे मनाऊँगा !

जो बोला फ़क़त एक भी मुझसे झूठ
मैं बिन बताए जिंदगी से चला जाऊँगा !!

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9 JUL 2021 AT 17:05

इश्क़-ए-इज़हार मुझसे, तुम सरेआम कर देना
मेरे दिल को तुम, अपने नाम कर देना..
यूँ तो तोड़ा होगा दिल हज़ारों का "प्रदीप" ने
जो तोड़ दूँ दिल तुम्हारा, तो बेखौफ़ बदनाम कर देना

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9 JUL 2021 AT 16:57

इश्क़-ए-इज़हार मुझसे, तुम सरेआम कर देना
जो तोड़ दूँ दिल तुम्हारा, तो मुझे बदनाम कर देना
यूँ तो बहुत हैं दीवानी 'प्रदीप' तुम्हारी...
जो तुम्हे रोता ना देख सके, दिल उसी के नाम कर देना

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12 JUN 2021 AT 22:26

ना इश्क़, ना रूठना, ना ही ढंग से बात करना आता है,
जिसको छोड़ दिया खुद हमने, वो शख्स हर रोज याद आता है

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11 MAY 2021 AT 3:06

मैं भगवान को मन के मंदिरो में ढूँढता रहा..

वो इंसानों के रूप में आकर मुझे राह दिखाते गए

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26 DEC 2020 AT 19:27

ना हम उनसे मिलने गए
ना वो हमसे मिलने आए !

उसके गाँव से हम कुछ यूँ लौट आए
न जाने अब, वहाँ वापस कब जाए !!

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19 SEP 2020 AT 1:03

दर्द दूर करने किसी हमदर्द को भेज देता
ऐ खुदा! या सबको ही बेदर्द भेज देता

इंसान पढ़ सके खुद अपनी किस्मत को
कम से कम हाथो में ऐसी रेखाएँ भेज देता !!

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2 SEP 2020 AT 0:12

होंठ ख़ामोश, आँखे झुकी, पर कविता लिखना सिखता है
"प्रदीप" ज्यादा नहीं लेकिन हफ्ते में दो बार जरूर लिखता है

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11 AUG 2020 AT 13:18

ना देखे मेरी आँखे किसी और को
ऐसी तुम बाधा बन जाओ !

मैं बनूँ तुम्हारा काला कान्हा
और तुम मेरी राधा बन जाओ !!

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