मंज़िल फ़क़त खुद की खुशी की हो..
तो बेशक़ काँटों से भरा रास्ता होगा
क़म्बख्त मंज़िल ही ज़ब कोहिनूर हो
तो बेदर्द काँच पर चलना सीखना होगा
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विशावत वंशज
जय करणी 🤲
जय श्री कृष्णा 🤲🤲
राजस्थान
तुम बेवजह भी जाना मुझसे रूठ
मैं हर सांस हर पल तुम्हे मनाऊँगा !
जो बोला फ़क़त एक भी मुझसे झूठ
मैं बिन बताए जिंदगी से चला जाऊँगा !!-
इश्क़-ए-इज़हार मुझसे, तुम सरेआम कर देना
मेरे दिल को तुम, अपने नाम कर देना..
यूँ तो तोड़ा होगा दिल हज़ारों का "प्रदीप" ने
जो तोड़ दूँ दिल तुम्हारा, तो बेखौफ़ बदनाम कर देना-
इश्क़-ए-इज़हार मुझसे, तुम सरेआम कर देना
जो तोड़ दूँ दिल तुम्हारा, तो मुझे बदनाम कर देना
यूँ तो बहुत हैं दीवानी 'प्रदीप' तुम्हारी...
जो तुम्हे रोता ना देख सके, दिल उसी के नाम कर देना
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ना इश्क़, ना रूठना, ना ही ढंग से बात करना आता है,
जिसको छोड़ दिया खुद हमने, वो शख्स हर रोज याद आता है-
मैं भगवान को मन के मंदिरो में ढूँढता रहा..
वो इंसानों के रूप में आकर मुझे राह दिखाते गए
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ना हम उनसे मिलने गए
ना वो हमसे मिलने आए !
उसके गाँव से हम कुछ यूँ लौट आए
न जाने अब, वहाँ वापस कब जाए !!-
दर्द दूर करने किसी हमदर्द को भेज देता
ऐ खुदा! या सबको ही बेदर्द भेज देता
इंसान पढ़ सके खुद अपनी किस्मत को
कम से कम हाथो में ऐसी रेखाएँ भेज देता !!-
होंठ ख़ामोश, आँखे झुकी, पर कविता लिखना सिखता है
"प्रदीप" ज्यादा नहीं लेकिन हफ्ते में दो बार जरूर लिखता है
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ना देखे मेरी आँखे किसी और को
ऐसी तुम बाधा बन जाओ !
मैं बनूँ तुम्हारा काला कान्हा
और तुम मेरी राधा बन जाओ !!-