आओ रे मारा सतगुरु साचा क्यूँ इतनी देर लगाई रे,,
सतयुग त्रेता द्वापर कलयुग चारों युग में चर्चा रे,,
आओ रे मारा सतगुरु सांचा क्यों इतनी देर लगाई रे,,
सत्य धर्म की ज्योति खड़ी- करी सत की ज्योत जलाओ रे,,
राम जन्म मैं तूने जन्म लिया रामकाज कर आयो रे,,
अहि रावण महि रावण मारा लंका जार जलाई रे,
राम नाम का लेकर आसरा जग मे नाम कमाई रे,,
आओ रे मारा सतगुरु सांचा कहिया देर लगाई रे,,
पाप पुण्य मैं जानू कोनी धर्म कर्म मुझे आवे ना,,
सांचो नाम गुरूजी थाको सांचा नाम ही जाना रे,,
आओनी मारा सतगुरु दाता कहिया देर लगाई रे,,
सत की ज्योति खड़ी करि गुरु म्हारा आके ज्योत जलाओ रे,,-
शांति की भाषा समझते नहीं नरभख्सि भेड़िये,
अब इन्हे इन्ही की भाषा मे समझाना होगा,,
बहुत हो गया सभा और बंद प्रदर्शन करना,
भेड़ियों कों उन्ही की भाषा मे समझाना होगा,,
उठा शस्त्र भारत अब हमें लड़ना होगा,,।
तोड़ दे कमर दुश्मन की उसे भी मालूम हो,
मेरे पूर्वजों कों खडेड़ना कितना महंगा पड़ेगा,,
सिर ढकने कों दिया उससी से लड़ना महंगा होगा,,
भेड़ियों कों उन्ही की भाषा मे समझाना होगा,,
याद रखेगी नश्ले आनी वाली उढ़ते चीथड़े,,
फिर से अर्जुन के तीर चलाना पड़ेगा,
काँप उठे आकाश रण भैरी की गूंज से,,
पांच जनन्य शंख नाद फिर करना होगा,,
छोड़ दे नियम, कायदे ताक पर रख दे,,
भेड़ियों कों उन्ही की भाषा मे समझाना होगा,,-
सच कहु तो लोग बुरा मान जाते है,,
झूठ बोलू तो मन गवाह नहीं देता है,,
कैसे समझाऊ मन कों बता मेरे यार,,
तेरे बिना कही भी चैन नहीं पाता है,,-
किस्मत भी मुझसे परहेज करने लगी है,,
नसीब की कुंडली आपसे मिलने लगी है,,
बहुत हो गई दुनिया मे दुरी आपसे हमारी,,
सपनो मे भी आपकी तस्वीर दिखने लगी है,,-
चीजे मिली तो सही मुझे,चाहे सारी लेट मिली,
पर यकीन मानिए जिंदगी मे खूबसूरत मिली,-
छोड़ दिया जिद्द करना भी कोई मनाने नहीं आता,,।
खुद ही पूछ लेते है अश्क़ कोई रुमाल नहीं देता,।।
बड़ा अजीब समय है वर्तमान का किसे याद करें,।
हम याद भी कर लेते है तो कोई रिप्लाई नहीं देता,।।-
एक हमसफ़र _हम दर्द यार चाहता है
नफ़रत की दुनिया में भी प्यार चाहता है...!!
तुझसे और कुछ नहीं चाहता ये दिल
तेरे पास में आना बार बार चाहता है...!!
समझो कि मोहब्बत में झुकते हैं सिर
वो मोहब्बत में होना खुद्दार चाहता है...!!
मैं पंछियों को भी कर देती हूँ आज़ाद
वो करना सबको गिरफ़्तार चाहता है...!!
बार बार कहता है हज़ार हैं तेरे जैसे
वो मेरी जैसी ही क्यों हज़ार चाहता है...!-
भूल जाए गम का समय प्रेम का पावन पथ स्वीकार करें,।
गिला सिकवा मिटा कर स्नेह प्रेम हम स्वीकार करे,।।
आओ जला दे ईर्ष्या घृणा नफ़रते एक दूजे की आज से,।
प्यार के रंगो से सजा कर नए साल का स्वागत करें,।।-
सुबह काट दे दिन काट दे रात काट दे परण्या की,,
ज्यादा बडबड मत करज्यो अब जीभ काट दे प्रण्या की,
विमल काट के जर्दा काट दे मार काट दे दिनभर की,
ज्यादा बडबड मत करज्यो जीभ काट दे परण्या की,,
तप्त दुपहरी तेज धुप यह कटती नहीं जवानी मे,,
इसलिये अब सुणो आदमी ठंडी करज्यो शीतला नें,,
तेज धार तलवार सी चले चिक चिक केची दर्जी की,
ज्यादा बडबड मत करज्यो जीभ काट दे परण्या की,,
भरी जवानी उम्र काट दे प्रण्य प्रेम पवित्रता मे,
स्नेह है भर देती आंगन छम छम बेजन्ति पायल,
रुण झुन से भर दे घर बर काट काट दे हर कट की,
ज्यादा बडबड मत करज्यो जीभ काट दे परण्या की,-
रूठ गई हवा तो फिजाओ की रक्षा कौन करेगा,,
रूठ गई बारिश तो कलियों से महोब्बत कौन करेगा,,
रुकता नहीं समय समय के इंतजार में,,
जिन्दा है बातें करलो मीत वरना बाद में कौन करेगा,,-