कमबख्त ये बारिश भी ना दिल की ज़मीन
पर बूंदों की जगह नमक छिड़कती हैं,
जिसे भुलाने की कोशिश में जुटे हैं हम
सदियोसे उसे दोबारा याद दिलाती हैं।-
दे कर दर्द आंसुओ ने आज सब कुछ ही ज़िन्दगी ने छीन लिया,
निवाले की दौड़ में क़दम घर को बढ़े पर छालों ने रोक लिया!-
ये उजाले गुनहगार हैं मेरे हसीन ख़्वाबों के,
कमबख्त आँख मलते ही तुम्हें दूर ले जाते हैं !-
जिंदगी की गाड़ी रुक सी गयी है
न जाने कहाँ चला गया
कमबख्त ड्राइवर-
चाहतों का क्या?
हर पल हर वक्त उमड़ आते हैं
नसीब कमबख्त, साथ कहां निभाते हैं......-
सूरत तो याद नहीं पर
आया था पहनकर
कोई शख्स कपड़े डाकिए का।।
कमबख़्त इक यादों का
लिफाफा थमा गया।।-
बसपन के प्यार के लिए पागल हो रहे हैं,
फिर कहते हैं कि ओलंपिक में पिछे क्यों हैं।-
कोई नहीं पूछता यहाँ हाल-ए-दिल 💔
कमबख़्त जिससे😊 भी बात🤳 करना चाहों
वो घावों पर नमक-मिर्च 🌶जरूर लगा जाता है ।
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ज़िन्दगी बहुत सस्ती है। कम्बख्त,
जीने के तरीके, बहुत महंगे हैं।
Zindagi bahut sasti hai..
Kambakht jeene ke tareekey,
bahut Mehenge hain.-
बात कोई और होती तो हम कह भी देते
कमबख्त मोहब्बत है, बताया भी नहीं जाता।
❤️❤️❤️— % &-