उसे, मुझे बदलना था, मुझे, उसे बदलना था,
ऐसे मरासिम को, कहाँ देर तक संभलना था!
आतिश थी, सहूलत थी उसे आरज़ी होने की,
मैं शम्मा था, मुझे तो देर तक ही जलना था!-
Baat mohabbat ka nahi..
baat ehsaas Ka tha..
Hame ho gya tha wo mohabbat...!!
Unhe Huaa nahi tha jo ehsaas....!!-
जब तुम मिलोगे बहुत बात होगी,
कभी तो हमारी मुलाकात होगी.!
निहारेंगे तुमको वो चाँद और सितारे,
बहुत खुशनुमा दिलनशीं रात होगी.!
ना होंगे अकेले स्वतंत्र ये पता है,
मेरे साथ तारों की बारात होगी..!
नहीं याद होगी मुझे फिर ये दुनिया,
जमाने की दौलत मेरे हाथ होगी..!
नज़र जब नज़र को सुनाएगी शिक़वे,
बिना लफ़्ज खर्चे हर एक बात होगी.!
फ़लक पे मुक़म्मल मेरा चाँद होगा,
जमीं पर बहारों की सौगात होगी..!
सिद्धार्थ मिश्र-
कभी तो ख़त्म होंगी
ये उदासियां तनहाइयाँ
इक दिन तो अच्छा होगा,
चार दिन की जिंदगी में
✒️✒️✒️-
कोई एक दिन तुम मेरे नाम कर दो,
सुबह यूँ मिलो तुम हंसी शाम कर दो!
लिखूँ मैं फ़साने मोहब्बत के जानम,
कभी तो ये जज़्बा सरेआम कर दो.?
तुम्हारा हूँ मैं खुल के कह दो जहां से,
यही मांगता हूं ये एहसान कर दो..!
तुम्हारी ख़ुशी ही मेरी आरजू है,
भले इश्क़ में मुझको नीलाम कर दो!
तुम्हें पा सकूं मैं भले सब गंवा दूं,
दुआ है ख़ुदाया ये अंजाम कर दो.!
मिटा दो ये उल्फ़त की दुश्वारियां सब,
करम मुझपे कर दो यूँ आराम कर दो!
मेरी शोहरतें सब मुक़म्मल हैं तुमसे,
स्वतंत्र आशिक़ी में मेरा नाम कर दो.!
सिद्धार्थ मिश्र
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कभी तो आपकी नज़रों को हमारा दीदार हो
कुछ पल के लिए ही सही, पर आँखे चार हो-
खामोशियाँ
इनको शब्दों का रूप ना देकर
कभी भी जब भी फुर्सत हो
दिल लगाकर सुनना
बहुत कुछ कहती है यूँही
बिन कुछ कहे-
मुझे मुझमें ही दफ़न करने का इंतज़ाम कर रहा है
वो शख़्स आजकल बेतहाशा काम कर रहा है
मैं तो मर चुकी कभी का कोई बताए जाकर उसे
वो खामखां अपने ख़्वाब मेरे नाम कर रहा है
ठहरे हुए वक्त में मिला था जो किसी लम्हे की तरह
वो अब मेरी रूह में बसर सुबह शाम कर रहा है
फट पड़े नसें लहू की है वो शिद्दत उसकी कलम में
वो बड़े बड़े शायरों में अपना मक़ाम कर रहा है
लाज़मी है के होता हो गुमान भी खुद पे उसे ज़रा ज़रा
कि वो जानता है कोई उसपे साँसें तमाम कर रहा है-
कभी दो हमें भी यह मौका,
होठों से होठ मिलाने का,
तेरी बाहों में सो जाने का,
रात में तेरे ख्वाबों में जी लेने का,
कभी दो हमें भी यह मौका,
शाम के एहसास का,
गहरे से जज़्बात का,
आँखों में डूब जाने का,
कभी दो हमें भी यह मौका ..-
मैं तो हर पल तेरे साथ हूं
पर कभी तुझे कहना पड़ेगा
के इसे मेरे पास रहने दो
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