कतरा भी खून ना निकला, पर जान नहीं बच पाई
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As the relation becomes old
Everything is taken for granted
And thats the start of hurts and pains
Small gestures are forgotten
And one day , only regrets— % &-
टूटे टुकड़ों सी
इधर उधर से
खुद को समेटती रही हूं
बुझती राख से अंगारे
बटोरती रही हूं
खोई खुद की पहचान
खोजती रही हूं
बस अब चलते चलते
थक रही हूं— % &-
कभी यूं भी होता है
ये जानते हुए भी के
कोई भविष्य नही जहां
फिर भी आज में सब वहीं
न्योछावर करते चले गए
कल देखा भी किसने है— % &-
रिश्तों को ढोना नही
कुछ नही है अगर दिल से
तो जताना भी नही
हर इंसान खिलौना नही— % &-
जब यूं दिन बीतने लगें बिन हाल जाने
कमी है जरूर रिश्ते में कहीं — % &-
बहुत ज़ोर ज़ोर से हस्ती हूं
यूंही मज़ाक करते रहती हूं
बुरी लगी बातों को यूंही टाल देती हूं
वो समझते हैं इसे कुछ फर्क नहीं पड़ता
ये तो बड़ी कठोर चमड़ी है
उपर से मैं बहुत खुश मिजाज़ हूं— % &-