Vivek thakur   (विवेक सिंNGH ✍️)
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Joined 26 August 2019


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27 MAY 2022 AT 13:37

सख़्त हाथों से भी फिसल जाती है..
कभी नाजुक उंगलियां,,
रिश्ते ‘ज़ोर’ से नहीं,,
‘प्यार मोहब्बत” से पकड़े जाते है “

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27 JAN 2022 AT 0:35

आशना होकर भी अजनबी से लगे,
इस दफा तुम भी मतलबी से लगे ।— % &

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3 APR 2020 AT 16:16

चले तो थे दोस्तों का पूरा क़ाफ़िला लेकर
कुछ जुदा हो गए और कुछ शादीशुदा हो गए!!

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3 APR 2020 AT 15:03

ना जाने क्यूँ कुछ कमी सी लगती है....
तुम हो.....मैं हूँ....
.लेकिन फिर हम क्यूँ नही है ?

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3 APR 2020 AT 14:51

ख्वाहिश
बड़ी बेवफ़ा होती है
पूरी होते ही
बदल जाती है.....!!

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3 APR 2020 AT 14:45

मिजाज हमारा भी है कुछ
समन्दर के पानी जैसा
खारे हैं..मगर खरे हैं !!

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3 APR 2020 AT 14:23

सोचता हूँ सागर की लहरों को देख कर
क्यूँ ये किनारे से टकरा कर पलट जातें हैं
करते हैं ये सागर से बेवफाई
या फिर सागर से वफ़ा निभातें हैं

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3 APR 2020 AT 13:36

वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है,
उसी के दम से रौनक आपके बंगले में आई है।
इधर एक दिन की आमदनी का औसत है चवन्नी का,
उधर लाखों में गांधी जी के चेलों की कमाई है।
कोई भी सिरफिरा धमका के जब चाहे जिना कर ले,
हमारा मुल्क इस माने में बुधुआ की लुगाई है।
रोटी कितनी महंगी है ये वो औरत बताएगी
जिसने जिस्म गिरवी रख के ये क़ीमत चुकाई है!!

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30 MAR 2020 AT 12:04

लम्हा लम्हा रोज़ सँवरने वाली तू
लम्हा लम्हा रोज बिखरने वाला मैं

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27 MAR 2020 AT 22:59

कैदी है सभी यहां
कोई ख्वाबों का
कोई ख्वाहिशो का

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