कच्ची मिट्टी का बदन था मिरा,
बस इसीलिए,
अपना मनचाहा आकार, देने लगा वो मुझे।-
22 JAN 2018 AT 23:06
22 AUG 2017 AT 1:13
कि कच्ची गलियों में वो गाड़ियाँ चला नहीं पाता
बस इसलिए मेरा बेटा अब घर नहीं आता..!!!-
2 NOV 2020 AT 9:02
आस की कच्ची डोरी को बहुत संभाला,
पर अब वो टूट ही गई,
आख़िर कब तक संभलती।-
4 NOV 2020 AT 9:31
'समझदारी' से पहले 'ज़िम्मेदारी' का आ जाना,
कितना मुश्किल है कच्ची उम्र में बड़प्पन आ जाना।-
23 NOV 2017 AT 16:18
सर्दियों की खुशनुमा धूप सा इश्क
खिड़कियों से झांकता
कभी छत पे गले लगता
अहसास ए सुखनवर
इससे ज्यादा
और क्या होगा 💝💝
प्रीति
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20 DEC 2020 AT 14:15
मेरी कविताएँ
कच्ची रह गयीं,
कम हो गयी जब से
तुम्हारे प्रेम की आँच।-