कि "वो" आया था मुझसे मिलने,
कुछ देखा-2 सा लगा,
उसकी आँखों में आज वो अपनापन सा लगा l
दरवाजे के पास आके ना जाने क्यों वो "ठिठक" गया,
लगता है पुरानी बातों को याद करके शायद थोड़ा सा "झिझक" गया l
सुबह का सूरज ना जाने आज कहा जाके "अटक" गया,
लगता है आज वो भी शाम कि जुल्फों में "लटक" गया l
बिन कुछ कहे "वो" यूही वापस "पलट" गया,
मैं चिल्लाना तो चाहती थी पर मेरा सांस कही "अटक" गया l
पलकों का पहरा ना जाने कैसे आँसुओं से "हट" गया,
टपकते आँसुओं से सीना मेरा "भर" गया l
"वो" आया तो था मुझसे मिलने,
पर शायद मिलना नहीं चाहता था...
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