निकाल दिया आज घर से उसको,
नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा उसे,
ऐसा क्या गुनाह किया था उसने जो,
बे पनाह घुट घुट के जीना पडा़ उसे,
अस्पृश्य हो गया कल सबका प्यारा,
खुद में से खुद को खोना पडा़ उसे,
कहानी एक पल की बन गई सजा,
स्पर्श वो अनजान महंगा पडा़ उसे,
प्यार सहानुभूति से हो गया वो दूर,
ऐड्स ओ घृणा को ढ़ोना पडा़ उसे,
जिंदगी जीनी थी खुशहाल जिसको,
मौत की चादर ओढ सोना पड़ा उसे...-
# एड्स #
एड्स के बारे में हमारे यहाँ तरह-तरह की भ्रांतियां हैं जो इस बीमारी को दूर करने में रुकावटों का काम करता है।
आज जरूरत है, स्कूली शिक्षा में इसे शामिल करने की, ताकि कोई भी अकाल एवं असहाय मौत का ग्रास न बने।-
सिर्फ़ स्पर्श से कोई पीड़ित हो जाये
ये मिथ्या का प्रभाव है
ये छुआछूत बीमारी नही
क्यों बना रहे अलगाव हैं
विश्व एड्स दिवस पर एक संदेश -
एड्स पीडितों के साथ अच्छा व्यवहार कीजिए
सिर्फ छूने मात्र से इसके फैलने का कोई संबंध नही-
एड्स पीड़ित व्यक्ति के लिए,
ना फैलता है वो स्पर्श से,
ना ही हाथ मिलाने से,
ये बस एक बीमारी है,
जो खत्म होगी,
हमारे जागरूक हो जाने से।।
ना करो घृणा उस व्यक्ति से,
ना डरो उसे अपनाने से,
थोड़ी से जागरूकता बचाएगी
इसको आगे जाने से,
अगर सोच बदल लिया,
अभी ही अगर संभल लिया,
तो कोई ना रोक सकेगा,
हमें इससे जिताने में।।
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बढ़ चल फिर से,
ख़ुद को थाम ना तू,
उड़ चल इस उन्मुक्त गगन में,
ख़ुद को बांध ना तू,
स्पर्श मात्र से घबराता क्यूँ है,
तुम अपवाद नहीं हो,
गले किसी को लगा न तू,
फिक्र ना कर इन ताने बाने का,
जीवन की डोर फिर से थाम न तू,
भर उमंग फिर से, रोता क्यूँ है,
सतरंगी सपने फिर से देख न तू।-
MDH वाले बाऊजी
को अपने ADD में
अब साउंड डबिंग
करानी चाहिए।
😊सूरत वही😊
😊आवाज़ नई😊
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मेरे प्रिय मित्र,
गौरव,
तुमसे मिले अत्यंत समय बीता ,तुम्हारी कोई खबर नहीं आयी ।मुझे आशा है तुम अब स्वस्थ होंगे और अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी जंग जीत चुके होगे।अब कोई तुमसे भेदभाव नहीं करता होगा।
मुझे आज भी याद है, कालेज के समय की घटना जो मुझे आज भी तुम्हारी स्वास्थ की चिंता के लिये व्याकुल कर देती है।
सब तुमसे हमदर्दी तो दिखाते थे परंतु बस दिखावटी ; जैसे: कहावत है न "हाथी के दांत खाने के और और दिखाने के और" सब सामने कहते थे कुछ जरूरत हो मेरे पास आना और जब तुम जाते तो नतीजा ऊंची दुकान फीके पकवान।चैरिटी के नाम पर कोई मात्र १० रूपये देता और कोई ५ बस और एक गरीब ५० दे जाता था।सच कहूँ तभी मैंने असली दुनिया देखी जिंदगी का नजरिया और उनका नजरअंदाज।
तुम अलग खाना खाते थे कि कहीं तुम स्पर्श न कर जाओ
और तुम भी सोचने लगे थे हट जाओ मित्रों ;नहीं तो ये रोग तुम्हें भी हो जायेगा।
और मैं आज तक यही सोचती हूँ क्या यही है मदद और एक मददगार का स्पर्श?
एक तो तुम पहले से बीमार ऊपर से ऐसे प्रहार
ऐसे तो व्यक्ति को सहारे की जरूरत होती है सच्ची मदद की जरुरत होती है नही तो वो एड्स के साथ साथ मानसिक रोगी भी हो जायेगा और हमारा भारत ऐसे रोगमुक्त कैसे हो पायेगा जब बीमारी कम होने की वजाय बढ़ायी जायेगी?
तुम्हारी शुभचिंतक
मनीषा सिंह😊
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करके प्यार हमसे एड्स-ए-अफवाह अभी पल में हर दी !
उसके मोहब्बत भरे स्पर्श ने जिंदगी मोहब्बत से भर दी !!-
His fake Love Changed Me into
girlish role for... some time...
But later when...he left me ..
Whitout any Reason...
The Orginal ME...
was BACK AGAIN...
With a SOLID REASON ...
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तुम व्यथित ना हो अगर लोग तुम्हें स्पर्श करना गलत समझते हैं,
तुम मन छोटा ना करो अगर लोग तुम्हारे संग खाने से हिचकते हैं,
तुम दुखी ना हो अगर लोग तुमसे बात करने से बचते हैं,
ऐसे लोग स्वयं पीड़ित हैं कलुषित सोच रूपी एड्स से..
तभी वो तुम्हें घृणित समझते हैं!!
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