जीवन के हर पहलू को भांप ,
वक़्त को अपनी अदाओं में
ढालने वाली अदाकार हु मैं....
मुश्किल को कर के आसान
गम को खुशी में रंगने वाली ,
हस्ती - हां "चित्रकार" हु मैं.....-
Profession :- Writing As , SaYaR ( Stories , गजल , सायरी , ... read more
: कसमो , वादों की बात कर दिल लगाने वालो ,
गर स्त्री की कसमें बद्दुआ है तो हाँ नामर्द हो तुम ....
एक गलती की ताक में , मुहब्बत को पल में मिटाने वालो ,
गर स्त्री की जरा सी कमियां कड़वा है तो हाँ नामर्द हो तुम ....
[: धिक्कार है इस प्रेम को ,स्त्री को बस भोग की वस्तु समझने वालो ,
गर स्त्री का पवित्र प्रेम , रंगीनियों का जलवा है तो हाँ नामर्द हो तुम ...
खुद में कमियां होकर भी , मुहब्बत में कमियां निकालने की संकीर्ण सोच रखने वालों ,
गर स्त्री का जिस्म तुम्हारे लिए हलवा है तो हाँ नामर्द हो तुम ....
[: कभी अपनाया , कभी छोड़ दिया , साथ मौसम , मुहब्बत का रंग बदलने वालो ,
गर स्त्री का प्रेम मौसम का जलवा है तो हाँ नामर्द हो तुम ....
अपनी माँ, बहन के सिवा , मुहब्बत के हर रिश्ते को सेज की चादर समझने वालों ,
गर तुम्हारी नजर में स्त्री अबला है तो हाँ नामर्द हो तुम ....
[: जब चाहा अपनाया , जिसे चाहा छोड़ दिया , मुहब्बत को जिस्म का जलवा समझने वालो ,
गर स्त्री तुम्हारी जूतियों का तलवा है तो हाँ नामर्द हो तुम ....-
गमजदा दिलो में उमंग भरती हू ...
हां, हां मै
जीवन के कोरे कागज पर ,
मुहब्बत की चित्रकारी कर,
खुशियों के रंग भरती हू ...-
When Relative discuss with my parents ...
और बताइए, आपकी बेटी बस मैगी, चाय ही बनाने जानती है या घर का काम भी कर लेती है....
My mind 👇-
जब जी चाहे , जिसे जी चाहे मुझे तोड़ जाए,
की इतनी आसानी से टूट जाऊं ,कोई कच्ची डोर नहीं हूँ मैं ..
मुस्कुराकर काँटों में खिलती रहूंगी गुलाब की तरह,
की मुश्किलों से हार जाऊं इतनी भी कमजोर नहीं हूँ मैं..-
मन मुस्काए मन्द मन्द ..
दिल चहके सिंगार को ..
बिन प्रीतम होली कैसी ..
दिल तड़पे दीदार को ..
की रंग के रंग है फीके सारे ..
दिल तरसे बाँहों के हार को ..
की बिन प्रीतम ये होली कैसी ..
की नैना बरसे हरपल प्यार को ..
कौन से रंग रंगे अब बिरहन ..
की बिरहन कैसे करे श्रृंगार ..
प्रियतम हुआ सौतन का पिया ..
कैसे मने रंगो का त्यौहार ..
-
उलझ जाती हूँ इक तेरे चले जाने से ...
तुझे भी तो उलझन महसूस होती होगी ...-
.Happy women's Day ..
स्त्री ने ही तो धरती को स्वर्ग बनाया है ...
की बिन स्त्री पुरी श्रिष्टी अधूरी है ..-