औरत मोम सिर्फ अपने पसंदीदा इंसान के लिए हो सकती है,
वरना उसके जैसा पत्थर पूरे कायनात में नहीं है...!!-
एक औरत के जरिए ही मर्द इस दुनिया मे आ पाता हैं,
और कुछ मर्द उस औरत को ही कमजोर समझते हैं और उनके प्रति गलत विचार और गलत नियत रखते हैं ।
तो कहीं ऐसे ही कुछ मर्द औरतों को माल समझते हैं
अब उन्हें कौन समझाएं भला कि औरतें माल नही होती बल्कि औरत तो "मान" होती हैं
एक लड़की या औरत(चाहे वो आपकी माँ हो, या आपकी बीवी, चाहे आपकी बहन हो या आपकी बेटी, चाहें वो आपकी दोस्त हो या गर्लफ्रैंड, चाहे वो एक अजनबी हो या जान-पहचान वाली) का हमेशा सम्मान करना चाहिए
#Respect_girls_and_women-
एक औरत
जिस्म में रूह को मिला देती हैं
एक जिस्म से दो जिस्म बना देती है (जब मां बनती है)
वक्त की पैमाइश करना दिलों तक
बेहिसाब सी जिंदगी में हिसाब सिखा देती है
संजोना बिखेरना होता है उसी के हाथ
एक परिवार को ममता के धागे से पिरो देती है
कोमल तन पर विराट हृदय धारिणी होती है
ममता निश्छलता प्रेम दीप्ति प्रकाशमयी होती है
एक स्त्री ही संसार होती है
जीवन का आधार होती है
बिन स्त्री जीवन कुछ भी नहीं
स्वर्गद्वापि की ज्योत्स्ना
हृदयों में संसार होती है-
एक औरत का दर्द एक औरत ही समझे
रिश्तों का बोझ आखिर वो कब तक सहे
ना किसी को बताना,ना किसी को दिखाना
रोता हुआ यह दिल आखिर कब तक छुपाए
खुद के सपने मार कर वो दूसरे की सपने सजाएं
एक अनचाहा आदमी के लिए औरत ही क्यों अपना दिल बहलाए
उसके लिए घर की चार दीवार ही उसकी दुनियां हैं
परिवार को जहन में और बोझ को कंधे पर रखे आज भी वो जिंदा हैं
आंख है नम पर फिर भी हंसी लबो पर
एक औरत ही जानें यह दोनों वो कैसे संभाले।
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साज हूं गीत हूं
या रांझे की प्रीत हूं मैं
मैं भोर की पहली किरण
या चांद की तस्वीर हूं मैं
सृष्टि का सृजन हूं
अनंत भी तक हूं क्या मैं
या ....
या हू कोई मैं राग गलत
या प्रेम का कोई दाग हूं मैं
चुभती हूं जो आंखों में
क्या कोई आग हूं मैं
है बदनाम क्या अस्तित्व मेरा
या तुम पर काला कलंक हूं मैं
बताओ तो
"तुम्हारी नजर में"
कि आखिर कौन हूं मैं।-
झूठ बोलना पाप होता है बेशक,
पर मैं मायके और ससुराल में
तालमेल बैठाने के लिए
हर रोज ये पाप करती हूँ,,,👸
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ममता की मूरत हूँ मैं,त्याग की सूरत हूँ मैं।।
संयम,दया,प्रेम,करुणा,सभी गुणों की सीरत हूँ मैं।।
दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती सम,वंदनीय कीरत हूँ मैं।।
माँ बन आँचल में समेटे जग को,पूजनीय तीरथ हूँ मैं।।
श्रृष्ठि के आरंभ अंत का,एक शुभ मुहूरत हूँ मैं।।
और तुम कहते हो......
हे नासमझ मानव...,अबला-सी एक औरत हूँ मैं।।
कब समझोगे इस सत्य को तुम,कि श्रृष्ठि के केंद्र की जरूरत हूँ मैं।।
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#एक_औरत2
छोटे कपड़े पहने है, रात को बाहर घूम रही है,सब लोग लड़कियों का ही दोष निकालते हैं।
पर लड़की माँ है, बेटी है, बहन है, यह बात लड़को को नही सीखते हैं।
खुल कर जीं नही पाते इन हालातों की वजह से।
घुटने लगीं हैं साँसे इन ख्यालातों की वजह से।
बस अब और सेहन नही होता। घूंट-घूंट कर जीना अब सेहन नही होता।
डर कर बहुत जीं लिए अब और नही डरेंगे।
अब किसी भी तरह की बत्तमीजी हम बर्दाश्त नही करेंगें।
अब आवाज़ उठाने का समय आ गया है।
सबने दुर्गा को तो देखा अब उनको काली का रुप दिखाने का समय आ गया है।
ना रहेंगे अब चुप और ना पड़ेंगे अब कमज़ोर।
चिला चिला कर हर तरफ मचा देंगें शोर।
हात लगा कर तो देखो जान ले लेंगे तुम्हारी।
हमे कम मत सम्झना हम है आज की नारी।-
औरत कितनी भी आधुनिक क्यूं न हो जाए,
दुआ में अक्सर मांगा करती है, कि
उसके मर्द का सामना कभी न हो
वैसी औरत से जो उससे बेहतर हो,,,🤐
(प्रेम में पड़े लोग)-
#एक_औरत
मैं हूँ एक औरत। माता-पिता के लिए प्यारी सी सूरत।
भाइयों के लिए उन्की बहन ख़ूबसूरत। बच्चों के लिए बनी म्मता की मुहूर्त।
पर अब कुछ लोगों के लिए बन गयीं हूँ उनकी हैवानियत की ज़रुरत।
छेडख़ानी लोगों के लिए मजाक बन गयी है। हमारी इज्ज़त से खेलना बात आम बन गयी है।
अब तो अकेले सड़क पर चलने में भी डर लगा रहता है।
पिछे से कोई आ तो नही रहा यही सवाल दिमाग मे घूमता रहता है।
यह डर हमें घर कर गया है। अब इस तरह डर डर कर जीना हमारी फ़ितरत बन गया है।
यह लोग सोंचते हैं की हम उसको छेड़ेँगे और वो कुछ नहीं कर पाएगी।
हम कुछ भी करेंगें और वो सेहती रह जायेगी।
देखते रहते हैं कुछ लोग यह घिनोना जुर्म होते हुए पर कुछ करते नहीं।
शर्म करो कुछ तुम इंसान कहलाने के काबिल नहीं।
अरे कुछ इन्सानियत तो दिखाते। कुछ करते नही तो कम से कम पुलिस को तो बुलाते।
उन दरिंदों ने अपनी हैवानियत से इस देश में गंद फ़ैला रखा है।
अब तो किसी पर भरोसा न रहा ऐसा माहौल बना रखा है।
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(जारी अगले quote में)
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