हिन्दी दिवस पर बहुत समय बाद आज अपनी लेखनी चलाने का समय मिल पाया है ।।
इसी में चार पंक्तियां निम्नवत हैं -
विचारों को कलम में उतारने का जज्बा होना चाहिए
हिन्दू हो तो हिन्दी का बोध होना चाहिए
मातृ भाषा विश्व भाषा बने ऐसा राष्ट्र हो
ऊंच नीच का भेदभाव खत्म होना चाहिए।।
जय हिन्द जय भारत
मातृ भाषा हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
सर सुधाकर श्रीवास्तव की कलम से✍️
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जुबां से होकर दिल तक ıllıllı
ஜ۩۞۩ஜ अयोध्या तट वासी ஜ۩۞۩ஜ
˙·٠•●♥ м... read more
क्या भूलूं क्या याद करूं
कुछ अपना लूं कुछ फरियाद करूं
समय से पहले छीन लिया गया जिसका बचपना
हटा लिया गया सर से छाया वो अधूरा सा संकल्प लिए
निभता रहा इस करुण हृदय में
अमृत विष का रसपान किए
जीवन क्या है
हृदय के अन्दर उथल पुथल होते जज़्बात
विचारों की महत्वाकांक्षा
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हर तरफ नफरत की बयार बह रही हैं
चरागों से कह दो जरा संभल के जले।।
सुधाकर
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क्या लिखूं हाल ए जिन्दगी
बस जी रहा हूं तुझे जिन्दगी
लगता है कट रही है जैसे
या मैं काट रहा हूं जिन्दगी।।
व्यंग सर सुधाकर श्रीवास्तव-
यह जरूरी नहीं है कि हर शिक्षित पुरुष या स्त्री संस्कारवान हो।
सर सुधाकर श्रीवास्तव-
रजिस्ट्री विभाग सदर अयोध्या की तरफ से
मैं सुधाकर श्रीवास्तव दस्तावेज लेखक
आपकी सेवा में सदैव तत्पर ।।-
दर्द अपने ही देते हैं गैरों में कहां जोर है
साख वहीं टूटती है पीठ जहां कमजोर है
सुधाकर श्रीवास्तव 😣😔-
किसी व्यक्ति ने कहा है
जीवन में चुनौतियों का सामना किया जाता है न कि चूतियों का ।।
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प्रेम घुटता रहा उस हृदय के अंदर
जिस हृदय से तुमको प्रेम किया।।
सर सुधाकर श्रीवास्तव-