Shweta Gosain   (Shवेता_गौsain√)
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Joined 14 December 2018


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26 JAN 2023 AT 14:25

उनकी तो फितरत ही महोब्ब्त थीं,,
हम ही बेवकूफ़ खुद को म़खसूस समझ बैठे।।

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18 JAN 2023 AT 20:06

मैं चाहूं जिसे वो भी चाहें मुझें,,
कितनी नादान हैं ना ये चाहते मेरी।

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16 JAN 2023 AT 19:42


ऐ खुदा तू मुझें हर वक्त मशगूल रखा कर..
पल भर के महोलत के इंतजार में रहती हैं यादें उसकी।

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18 JUL 2022 AT 14:39

तुम्हारी देह का एक अंग मैं भी तो हूं।

एक कण जिसका अस्तित्व क्षीण होता प्रतीत हैं,
माया की मोह से आज़ाद वो फिर भी नही,,
बिखेर वजूद को हुआ क्षतिग्रस्त होने को हैं,
एहसास का बचा हिस्सा देने को वो फिर भी नही,,

डूबता हुआ वो अंश का टुकड़ा मैं ही तो हूं।
तुम्हारी देह का एक अंग मैं भी तो हूं।।

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16 FEB 2022 AT 16:21

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9 JAN 2019 AT 18:52

To kya hua..........
To kya hua gr m ladko s bt krti hu..
To kya hua m Bengals ki jgh hth m dhaga phnti hu to,
To kya hua gr mere gale m locket ki jgh chain phnti hu to,
To kya hua sdk p khul kr hsti hu to,
To kya hua gr m shots phnti hu to,
To kya hua gr koshish krke b m khana dhang s nhi bna pati hu to,
To kya hua gr me ghr ane m thodi late ho jati hu,
Duniya hazar bolti h mere bare m,
Khti h khuli ajadi bht h mere khyalo m,
Pr fr bhi..........
Pr fr bhi m apne papa ka guroor hu,
Apni mmi k ankhon ka noor hu,
Apni bhno ki aadat hu to khi,
Apne dosto chahat hu,
Ab mai.......
Ab mai khud ko nhi dekhti duniya ki nazro s,
Smjhne do gr y duniya mjhe ziddi, batamize ,ya charecterless smjhti h to.

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24 OCT 2021 AT 18:59

कुछ तो हैं दरमियां तेरे मेरे,
कोई यूं ही बिना बोले बात समझता नहीं।

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30 SEP 2021 AT 13:35

तू किनारा समंदर का मैं केवल एक लहर हूं
तू रहता उस पार हैं मैं इस पार बहती हूं।।

की बैरी हवा तूफान हमारे मिलने हमे न देते हैं
जो बढू धीरे धीरे मैं पीछे मुझे ले लेते हैं।।

कैसे रोकू खुद को जब देखूं तुझे दूर से मैं
भर कर आंखों में तस्वीर तेरी लड़ती हूं तकदीर से मैं।।

लड़ कर तूफान से मैं कभी जो तुझको छू जाती हूं
उस पल में जीकर हर बार मैं रोम रोम खिल जाती हूं।।

टूटे सपनों से हसकर फिर खुद से ही में कहती हूं
तू रहता उस पार क्यों हैं क्यों इस पार मैं बहती हूं।।

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29 SEP 2021 AT 14:50

वो मशहूर था बातो से अपनी मेरी खामोशियों के चर्चे बड़े रहे।
फिर वक्त ऐसा आया जब हम मिले, हम बोले खूब वो खामोश सुनते रहे।।

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29 SEP 2021 AT 0:55

रात हो चली है...…
बंद हुआ एक शोर जो अब चारों ओर शांति बिखरी हुई हैं,
खुदसे होगी मुलाकात अब देखो तो रात हो चली है।।

खुद की आवाज़ सुनी थी खामोशी में ही,
मेने खुद को जाना इन अंधेरों में ही तो था।
जब टूट कर देखा आईना आखरी बार...
तो टूटा हुआ वो अक्ष मेरा ही तो था।

मुस्कान थी जो बेमिसाल कभी आज देखो नकली हो चली है,
खुद से होगी मुलाकात अब देखो तो रात हो चली है।।

मुझे पसंद नही वो शोर जिसमे किसी की आवाज दफन हो जाए
नही पसंद वो उजाला जो किसी को बेरंग दिखाये।
इससे तो बेहतर अंधेरा है तन्हाई है,
जो हर शख्स को बस एक रंग मे ही समेटता जाये।

देखो कैसे धीरे धीरे बातो में बात मेरी हो चली है,
खुद से होगी मुलाकात अब देखो तो रात हो चली है।।

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