अजीब है बात मगर
कहना जरूरी है
आँखों में अपने हैं
मगर उन्हें भुलाना जरूरी है
जान से प्यारा है अपना घोंसला
मगर उसे छोड़कर उड़ना जरूरी है-
पर हैं उड़ने को पर उड़ नहीं पाता हूँ
जोड़ हैं मुझमें इतने कि जुड़ नहीं पाता हूँ
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कहाँ ढूँढ़ूँ मैं अपना जहाँ,
अपनी ज़मीं और आसमां?
सपनों में अक्सर देखा है,
फूल वो खिलता है कहाँ?
तारों से जो झरता है,
किसने देखा है वो झरना?
उड़ पाऊँ जिनसे मैं खुलकर,
पंख कहो रखे हैं कहाँ?-
मेरा तिरँगा रोता होगा खुद ज़ार ज़ार
हवा में उड़ता दो बार जिस्मों में लिपटता बार बार-
कायल हैं उसके लहजे के , उसके घर के पंछी भी इस कदर ,
के वो पिंजरा भी खोले तो कम्बख्त, उड़ने से इनकार कर देते हैं !
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उड़ना ही है तो आंधियों से लड़ना सीखों
मुसीबतों की हवा कब बदल जाए किसे मालूम-
वो वक़्त और किस्मत को,
आजमाना चाहते थे,
एक ही साथ उड़ना और
तैरना चाहते थे ।-
कब तक चलोगी पीछे हमारे,
हमें पीछे मुड़ने की आदत नहीं है।
जिसने हमारा हृदय हो तोड़ा,
फिर उससे जुड़ने की आदत नहीं है।
हमने तो बस चलना है सीखा
हमें उड़ने की आदत नहीं है।
भले ही मुश्किल हो फैलना हमारा
पर सिकुड़ने की आदत नहीं है।-
सैकड़ों ख़याल हवा में उड़ जाते हैं।
कुछ ही लैंड होते हैं यौरकोट पर।-