उसने
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मैंने प्यार से उसके सामने एक गुलाब पेश किया
उसने गुलाब क्या? फूलों से ही मुंह मोड़ लिया
मैंने कहा,"जब तुम बोलती हो तो मोती झरते हैं"
फिर क्या था ? उसने अपना होठ ही सिल लिया
मैंने उससे कहा, " मैं तुम्हारी जुल्फों का कैदी हूँ "
फिर क्या? उसने अपना सिर ही मुड़वाय लिया
अब क्या करूँ? कैसे उसकी नाराजगी दूर करूँ
न जाने क्यों ? उसने मुझसे शिकायत ही किया-
क्या कथनी और करनी में इतना अंतर सही होगा
क्या सच मुच मुझे अब भूल पाओगी तुम.......-
दिल❤मेरा उसने ये कहकर वापस कर दिया दुसरा 💕 दिजीए ये तो टुटा💔हुआ हैℹ
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# उसने मुझे छोड़ दिया #
उसने मुझे छोड़ दिया, क्योंकि मेरा व्यवसाय डूब गया था और मैं कंगाल हो गया था।कल तक जिसने संग जीने- मरने की कसमें खाई थीं,आज दौलत की खातिर, मेरे दोस्त के संग चली गई थी,ये कहते हुए कि तुम अब मेरी जरूरतें पूरी नहीं कर सकते और मुझे तंगी में जीने की आदत नहीं है।-
# उसने मेरी चॉकलेट चुरा ली थी #
अभी हाल में ही, मेरी एक सहेली ने मेरी शादी की सालगिरह पर चॉकलेट दी और कहा कि घर में दोनों साथ में खाना। मेरी दूसरी सहेली को ये पता नहीं था और उसने वो चॉकलेट निकाल कर खा ली। मुझे भी पता नहीं थी कि चॉकलेट किसने खाई? मुझे बहुत बुरा लगा। मैं उसी सहेली को इसके बारे में बता रही थी, जिसने चॉकलेट चुराई थी।सच्चाई सामने आने पर दोनों बहुत हंसे।-
मयखाने से पूछा आज,इतना सन्नाटा क्यों है..??
उसने कहा..
साहब, लहू का दौर है,शराब कौन पीता है-
बेताब हमें कर डाला है,
उसने जुल्फ़ें बिखराई हैं!
महक़ी सी हैं साँसें मेरी,
ख़ुशबू में नहाकर आयी है!
सन्नाटों में भी आहट है,
ज्यों गूंज उठी शहनाई है!
उसके होंठों की लाली से,
खिलती कलियां शर्मायी हैं!
वो डूबी है अपनी धुन में,
सहमी सी कुछ सकुचायी है!
उसको रोकेगा कौन स्वतंत्र,
वो बहती है पुरवाई है..!
आंखों में हजारों शिक़वे हैं,
डूबोगे बहुत गहराई है..!
जाने कितनों के होश उड़े,
कितनों पे क़यामत आई है!
सिद्धार्थ मिश्र
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लिखा भी उसने मिटाया उसने,
गजब सा मंजर दिखाया उसने.!
सिद्धार्थ मिश्र-