QUOTES ON #ईनाम

#ईनाम quotes

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22 JUL 2020 AT 7:37

"किस बात की सजा है ये"

बेनाम क्यूँ है मेरा रिश्ता, अब इसे कोई नाम तो दो।
फिर रहा हूँ मैं यूँ दरबदर, मुझे कोई मकाम तो दो।

मेरे इश्क के नसीब में, साहिल मिलना ही नहीं शायद
मझधार ये वाजिब नहीं, अच्छा या बुरा अंजाम तो दो।

पलकें बिछाये बैठा है दिल मेरा, तुम्हारे इंतज़ार में
नहीं आना मेरी गली तो भी सही, पर पैग़ाम तो दो।

हिस्सा तो हम भी थे, तुम्हारा इश्क पानें की होड़ का
माना कि जीते नहीं, पर तसल्ली वाला ईनाम तो दो।

मुकर्रर किया है तुमने, चलो कबूल करते हैं हम
किस बात की सजा है, अरे कोई इल्जाम तो दो।

दिल मेरा बच्चा है अभी, नादानियाँ करने लगा है
हम भी मिसाल बनें प्यार के, ऐसा आयाम तो दो।

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हारे
हुए
शख्स
को
हमदर्दी
भी
ईनाम
सी
लगती
है..

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7 DEC 2018 AT 6:37

वो नींद में मुझको ईनाम दे गयी
सुबह सुबह ही नशीली शाम दे गयी
वक्त तो था मेरे चाय पीने का
मगर वो होठों के ज़ाम दे गयी

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19 JUL 2017 AT 0:59

आखिरी सलाम

हमारा तुमको ये सलाम आखिरी है
सुनो आज तुमसे कलाम आखिरी है.
मुझे तुम भुला तो चुके हो,
मेरी हर सौगात भी दफना दो,
यही एक छोटा-सा काम आखरी है.
कभी आरज़ूओं का सेहरा है प्यासा
मगर आंसुओं का ये जाम आखिरी है
तेरी बेरुखी का शिकवा नहीं है
यही मेरी मोहब्बत का ईनाम आखिरी है
ना फिर उम्मीद रखो मेरे राहगुज़र की
तुम्हारे बज़्म में ये शाम आखिरी है
कौन चाहेगा तुम्हें हम जितना
तुम पर फना होने वाली ये जान आखिरी है.

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एक अधूरी दास्ताँ है कुछ नये इल्ज़ाम हैं,
ऐ ख़ुदा ये बदगुमानी क्यों मेरा अंजाम है?

दी तुम्ही ने ख्वाहिशें औ फिर तुम्ही ने छीन ली
इशरतें देना न देना ये तुम्हारा काम है !!

खुशनसीबी मानता हूँ साँस जो तुमसे मिली,
जी रहा हूँ जिंदगी जो ये तेरा ईनाम है !!

ना कोई शिक़वा गिला तुमसे रहा हमको स्वतंत्र,
जो सज़ा हमको मिली वो भी तेरा एहसान है!!

#महादेव
सिद्धार्थ मिश्र

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8 MAR 2022 AT 12:24

हम इश्क के खिलाड़ी बदनाम है,
तुम क्यूं मेरे लिए बदनाम होना चाहती हो......
दूर रहा करो जरा तुम हमसे,
क्यूं खामखां तुम मेरे इश्क की ईनाम होना चाहती हो.........

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29 MAR 2021 AT 17:05

लोग तरसते हैं उन ईनामों के लिए
जो मुझे सज़ा में मिले हैं!

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15 JUL 2021 AT 21:41

2122 2122 212
मैक़दे में साथ साक़ी जाम के
क्यों हैं चर्चे आपके ही नाम के।1

सुब्ह हमसे पूछने लगती है ये
प्लान क्या है आज की फिर शाम के।2

करके तौबा हर दफ़ा तोड़ी कसम
अब तो हो हक़दार तुम इनआम के।3

घोंटकर देखा है ख़्वाहिश का गला
"हाथ निकले अपने दोनों काम के" 4

बादशाही बाप के दम पे चली
अब गए दिन वो जो थे आराम के।5

दिल "रिया" नाज़ुक सँभालो इसको तुम
बैठ जाती हो इसे तुम थाम के।6

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22 MAY 2017 AT 15:04

दिल और दिमाग की जंग मे हमेशा हार हमारी हूई
और ईनाम की राशि हमेशा उनके हिस्से आई।।

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28 DEC 2017 AT 0:53

वक़्त बे -वक़्त तुम्हारे ख्यालों में हम डूब जाते है
खुदा के दिये इस ईनाम पे थोड़ा बहोत इतराते है

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