पल दो पल आकर मेरे संग बिताना तुम
हो सके तो इस बरसात ठहर जाना तुम
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ख्वाब ,आरज़ू सब मिट्टी
प्यास ,जुस्तजू सब मिट्टी
साज़ ,मौसिकी सब मिट्टी
इश्क़ आशिकी सब मिट्टी
इरादे, कोशिश सब मिट्टी
दिल ए साज़िश सब मिट्टी
कसमें,वो बातें सब मिट्टी
शाम , वो रातें सब मिट्टी
मिट्टी मिट्टी ये सारा मंज़र
हाँ, मैं मिट्टी और तू मिट्टी-
उसके बताए रास्ते पर अंजान बनकर बैठ गयी
बेवफ़ा था जो कमबख्त उसी के सामने
मैं वफ़ा की किताब खोलकर बैठ गयी-
कभी छूने तो कभी पाने की ख़्वाहिश
चाँद को है अपना बनाने की ख़्वाहिश
अधूरा है मिल्कियत-ए-चाँद पे फैसला
है दावेदारों को आजमाने की ख़्वाहिश
है कितना प्रेम एक सितारे को चाँद से
इश्क़ में है बस टूट जाने की ख़्वाहिश
दरिया-ए-इश्क़ है हसीं निगाहें उसकी
ताउम्र के लिए डूब जाने की ख़्वाहिश
ख़त-दर-ख़त जिसे अपना लिखा मैंने
बस इक ख़त उसे पढ़ाने की ख़्वाहिश-
मुहब्बतों में मिलके ऐसा कोई काम करें,
सारी दुनिया हमारे प्यार को सलाम करे।
मैं तेरे प्रेम में कैलाश पर चली जाऊँ,
तू मेरे इश्क़ में दरगाह का एहतराम करे।
हम मिलें ऐसे जैसे गंगा जमना मिलती है,
उसी तहज़ीब से फिर इश्क़ सरेआम करें।
ज़िन्दगी की वसीअतों का फ़ैसला कर लें,
मैं तेरे नाम करूँ और तू मेरे नाम करे।
तेरे मेरे न दरम्यान रहें ये रस्में,
ऐसा अल्लाह सबब बनाए, ऐसा राम करे।-