कमी सी लगती है मेरे इश्क़ में तेरे लिए
तू दर्द भी दे तो करार आता है-
चाँद सी महबूबा को देने के लिए गुलाब हाथ में लिए जा रहा है,
फौजी को भी लगता है डर इश्क़ में इसलिए पुलिसिया यार साथ में लिए जा रहा है !!😍😜-
क्या मौसम आ गया है, इस इश्क़ में,
के लोग जात पूछने लगे हैं, इस इश्क़ में!
देखते हैं हुस्न, रंग, काग़ज़ और बहुत कुछ,
अरे! लोग औकात पूछने लगे हैं, इस इश्क़ में!-
जो इश्क़ में किसी से हँस कर जुदा होता है
वो रात के अंधेरे में खामोशी से रोता है-
इश्क में टूट कर बिखरना आसान है...
पर
इश्क में टूट कर खुद को समेटना उतना ही मुश्किल।।-
,
रह गये अधूरे इश्क़ में हम ••
बहुत समझाया दिल को अपने ,
मगर जी ना पाये इश्क़ में हम ••-
"वीरान बस्तियां"
इश्क़ में लगती है आग दो दिलों में मगर,
उसके ऐवज में और भी घर जल जाते हैं,
टूट जाता है जब बांध दिलों के दरिया पे बना,
शहर के शहर और बस्तियां वीरान हो जाते हैं।-
इश्क़ में !
घुट-घुट कर जीना सिखाया उसने,
अक़्सर !
जो साथ मरने की क़समें खाया करतें थे ।-
अपमान की घूँट
अपमान की घूँट पी नींद गिरवी रख दी है,
अपनी दुआओं की औकात परख ली है।
जब मोहब्बत करती ही नहीं तुम मुझसे,
फिर क्यों मुझे याद करने की शपथ ली है।
याद का सफ़र ताउम्र समानांतर चले है,
फिर क्यों वादे निभाने की अलख ली है।
जब अज़ान नहीं दे सकते मेरे नाम की,
क्यों नाम जपने की निर्ख़ जबर ली है।
थाम लिया मौसमे-हिज्र ने अधबीच मुझे,
इश्क़ में मौसमे-नौ-बहार की जुगत ली है।
दरख्त सा बन हर फल अदा किया तुझे,
शूल हर पैर से निकालने की शपथ ली है।
कली देखरेख चाहे फूल बनने की यात्रा में,
तेरी उन्स में मिटने की धुन अकारण ली है।
अपमान का घूँट पीकर लब सिल लिए हैं,
शुक्राना तेरा जो मरते वक़्त मेरी ख़बर ली है।
तेरी जिल्लत रौंद गई मेरे समूचे अस्तित्व को,
साँप जाने के बाद लाठी की लिखा रपट ली है।
मेरी सदा-ए-दुआ रब ने सुन,रहम अता की है
जख़्मी दिल की चाहत की थाम नहर ली है।-