यूँ तो तेरे इश्क़ में खुद को तुझ से तबके में छोटा बना लेती हूं मैं ,
मगर मेरे इश्क़ को मज़बूरी समझ मुझे पा–पोश न समझना ....-
एक अदनी सी लेखिका हूँ , बस आप सभी का प्रेम और सहयोग चाहती हूँ .....
प्रकृति प्रेम... read more
मैं उसे छुप छुप कर देखती हूँ ऐसे
बादलों की ओट से झांकता हो चाँद जैसे ,
मेरी नजरों में उसके लिए प्यार की शुरुआत है ऐसी
सावन के फुहारों को देख फूटती हैं नई कोपलें जैसे ,
उसे देख मेरा मन झूम जाता है ऐसे
बादलों को देख नाचे मोर–पपीहा हो जैसे ,
क्या बताऊं क्या है वो मेरे लिए
वो मेरा श्याम मै उसकी मीरा जैसी ....-
इसे बस पायल नहीं मेरी मोहब्बत की निशानी समझना ,
जब भी धड़कन सुननी हो मेरी चुपके से बस पायल को छम छमाना ...-
आज बैठी कुछ फ़साने लिखने
कुछ अनकही कुछ अपनी ज़ुबानी लिखने ,
सोचते सोचते यूँ आ धमका तेरा ख्याल मन में
अब ख़ुद को छोड़ बैठी हूँ तुझ पे अपनी ज़िंदगानी लिखने ...-
इन चूड़ियों की खनक से धड़कन आज भी तेज हो जाती है ,
मेंरे प्यार से दी इन चूड़ियों को पहन के जब वो मेरे बगल से निकल जाती हैं...-
तेरा प्यार से मेरे माथे को सहलाना
तेरा प्यार से वो मुझे आगोश में ले लेना ,
तेरा बेधड़क मुझपे अपना प्यार लुटाना
तेरा वो बिन बात के मेरे माथे को चूम लेना ,
मेरी बातों को बस सुनते जाना
भले वो बात तुझे समझ न आना ,
मेरे आंसुओं को देख कर तड़प जाना
फिर मुझे खुश रखने के हज़ार बहाने सोच जाना ,
अक्सर याद आ जाता है वो गुज़रा ज़माना
तेरा वो मेरे सामने बेझिझक अपना प्यार जताना ...-
इश्क़ और दिखावे में बस इतना ही फ़र्क है
इश्क़ जताने के हज़ार तरीके होते हैं , और
दिखावे के इश्क़ में इश्क़ जताने का तरीका कुछ दिन का होता है।-
थक हार कर ज़िंदगी के दौड़ से लौट कर जब आऊं पास तेरे ,
तेरे छूने भर से ही हो जाता है जादू जैसे जागी हो नई तरंग मुझ में...-
तन्हा चाँद और उसकी अधूरी सी कहानी
कुछ नई तो कुछ बहुत ही पुरानी ,
कुछ दास्तान मोहब्बत के पूरे हुए
कुछ चाँद के सामने ही अधूरे रह गए ,
कुछ वादे पूरे हुए कुछ सपने पूरे हुए
कुछ तो शुरू होकर भी न अधूरे रहे ना पूरे हुए ,
बस ये चाँद देखता है उन सभी को मुस्कुरा कर
कुछ की कहानी उसके सामने ही ख़तम
तो कुछ के इश्क़ मुकम्मल हुए ....
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उसके आने की ख़बर सुनी
दिलों में जैसे उम्मीद जगी ,
शायद अब वो समझेगा मुझे
शायद अब दर्द से मोहलत देगा मुझे ,
शब भर किया इंतेज़ार उसका
आंखों में था बस इंतेज़ार उसी का ,
पर सहर को फिर से वही रीत दोहराई उसने
दो टूक माफ़ी का पैगाम भेजवाया उसने ,
एक बार फिर उसका आना एक ख़्वाब बन के रह गया
मेरा इश्क़ फिर से मुकम्मल होते होते रह गया ...-