Ankita Shukla   (Ankita "आदत💕")
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Joined 22 February 2019


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9 OCT AT 15:15

मेरा दर्द भी तू
उस दर्द की दवा भी तू

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4 OCT AT 19:35

करूँ इज़हार_ए _मोहब्बत तुझ से ऐ सनम ,
रहूँ तेरा बनकर हमेशा , सज़दे में तेरे लेता हूँ ये कसम ....

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30 SEP AT 17:56

तू हाथ थामें जहाँ ले चले , तेरे पीछे पीछे आऊंगी
न कुछ बोलूँ , ना कुछ सवाल करूँ, बस तेरी ही सुनती जाऊंगी ...

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23 SEP AT 23:19

तुझ से जो मिला उस दग़ा का क्या करें
तूने जो बिन गुनाह के दिया उस सज़ा का क्या करें ,
तोड़ दी है तूने इस दिल की हर छोटी उम्मीद
जो तोड़े हैं हर बार भरोसा , बता तुझपे भरोसा भी क्या करें ,
बड़ी बेरहमी से ये ज़र्ब जो तूने दिया है मुझे
इसका मरहम भी है तेरे पास इसकी उम्मीद भी क्या करें ...

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23 SEP AT 23:11

ये खूबसूरत सी शाम , तेरा आग़ोश , और बारिश का साथ ,
जैसे मुकम्मल कर रहे हों ये मिलकर तेरा मेरा ये अटूट साथ ...

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22 SEP AT 11:18

माता के चरणों में समाहित है सृष्टि सारी ,
इन्हीं चरणों को समर्पित है भक्ति हमारी ...

जीवन रूपी सूखे उपवन की तू ही है नवीन क्यारी ,
माँ अपने भक्तों को लागे हर स्वरूप में प्यारी ...

तुम पे ही भरोसा , तुम से ही है हर आशा हमारी ,
आकर हरो माँ अपनी भक्तों की हर विपदा भारी ...

अपने भक्तों की पुकार सुन दौड़ी चली आएं ,
ऐसी कोमल मन की हैं माँ भवानी हमारी ...

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14 SEP AT 23:48

तुझ से ही जाना मैंने मोहब्बत की दास्तानें,
तुझसे ही सुना है मैंने शिरीन–फ़रहाद के तराने ...

तूने ही समझाया मुझे किसी के लिए जीने का मतलब ,
तुझ से ही जाना मैंने प्रेम में समर्पण...

तेरे इश्क़ को इबादत कहने की आदत ,
तू जैसे करता है इश्क़ से ही ख़ुदा की इबादत ...

ये तेरे इश्क़ की मौज–ए–आब ही तो है ,
जो मेरे बंजर दिल को भी गुलशन कर जाता है ...

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13 SEP AT 23:26

तू हर बार कर देता है गुमराह अपनी लफ़्ज़ों की चाशनी से
कर के रुसवा मेरे इश्क़ को कहता है ये कोई बेवफ़ाई नहीं ,
अब से ख़त्म करती हूँ तेरे मोहब्बत का इंतेज़ार
जा अब से तेरे लताफ़त_ए_ लफ़्ज़ की मेरे पास कोई सुनवाई नहीं ...

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13 SEP AT 21:01

जैसा चाहो वैसी रहती नहीं
जैसा कहो वैसे सुनती नहीं ,
बहुत ज़िद्दी है ये नियति
किसी की अपने आगे चलने देती नहीं ...
रह रह के दिखाती है हर मोड़ पे धूप छांव
कभी हरे कर देती है हर पुराने ज़ख्म ,
तो कभी भर देती है बड़े से बड़ा घाव
बहुत ज़िद्दी है ये नियति एक जैसी कभी रहती नहीं ...
अपने मिज़ाज में रखती है थोड़ी तल्ख़ी थोड़ी नरमी
कभी कभी दिखा देती है हर बात पे ही गहमा गहमी,
बहुत ज़िद्दी है ये नियति ज़नाब
किसी के ज़िद के आगे ये कभी झुकती नहीं ...

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12 SEP AT 16:40


एक आखिरी बार गले मिले हम उस दिन जी भर के ,
जिस दिन उसे रुखसत होना था मेरी जिंदगी से ...

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