दे रहा है वो चांद चांदनी ईनाम तारीफ में
ये सूरज, ये तारे, ये बादल तमाम तारीफ में
बोले कोई रावी, कोई व्यास, कोई चिनाब
अपने हिसाब से रखे हैं नाम तारीफ में
हंसी, खुशी, रौनक सब बेचती है वो
गम खरीदने का दे रखा है काम तारीफ में
एक पूरे कबीले का सरदार मानते हैं लोग
हर एक बंदा करता है सलाम तारीफ में
के कान के पीछे टीका लगाना लाजमी है
ये हवा ले आई है उसका पैगाम तारीफ में
के छू कर जिनकी उम्र बढ़ाती हो तुम
हो जाते हैं वो गुल फिर नीलाम तारीफ में
जुगनू, चिड़िया, तितली सब आती मिलने
एक बड़ा जश्न होता है उस शाम तारीफ में
-