Nitin Verma   (N...!)
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Great fan of Ustaad Mirza Ghalib Sahab, Gulzar Sahab, Jaani Bhai...
Joined 14 March 2020


Great fan of Ustaad Mirza Ghalib Sahab, Gulzar Sahab, Jaani Bhai...
Joined 14 March 2020
25 DEC 2023 AT 17:35

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2 NOV 2023 AT 11:52

चल फिर अजनबी होते हैं, फिर मोहब्बत करते हैं
बस शर्त ये है के इस बार दिल "मैं" तोड़ूंगा

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8 OCT 2023 AT 8:50

बस इतना सा राब्ता बचा है हम दोनों के दरमियान
मैं पूछता हूं "कैसी हो", वो कह देती है "बस ठीक"

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17 SEP 2023 AT 10:28

सारी तितलियां
तुझे छुएंगी
तुझे चूमेंगी
तुझे महसूस करेंगी
दिन रात कई भंवरे
तेरे आगे पीछे रहेंगे
मैं
उन सब का
"सरदार" रहूंगा...!

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16 SEP 2023 AT 9:27

किसको आओगे अब तुम याद मेरे बाद
किसकी करोगे रातें अब तुम बर्बाद मेरे बाद

जिसकी भी गलियों में जाओगे, रुलाओगे उसे
किसके लिए बनोगे अब तुम जल्लाद मेरे बाद

कौन है वो जिसकी बली चढ़ेगी तेरे हाथों
किसके खून का लोगी तुम स्वाद मेरे बाद

सुना है उसके बंगले हैं गाडियां हैं दुकान भी हैं
वही बनेगा न तेरे घर का दामाद मेरे बाद

दिन में कोई शाम में कोई कोई और रात में
बढ़ने लगी है लड़कों की तादाद मेरे बाद

हाथों को जोड़कर मांगा था मुझे ईद पे
और किसकी करी थी तूने फिर मुराद मेरे बाद

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9 SEP 2023 AT 13:22

काश कुछ रोज़ और लगते तुम्हें भूलने में
काश के मैं तुम्हें कुछ और याद करता

काश तुम्हें सजा के तौर पे "मैं" मिलता
काश मैं खुदको थोड़ा और बर्बाद करता

काश तुम मुझे मैदान के बाहिर नहीं करती
काश मैं एक कोई पारी तो नाबाद करता

काश तुम आती मेरा हाल जानने घर मेरे
काश तेरी गली में कोई ऐसा फसाद करता

काश तू मेरी बेवफाई के किस्से सुनाती
काश मैं तेरी महफिल में तुझे इरशाद करता

काश तुम मिल जाती किसी राह में शाम में
काश मैं तुम्हें देखता फिर नजरंदाज करता

काश सभी लगाते तोहमतें तुझपे बाजार में
काश मैं अकेला तुम्हें वहां जिंदाबाद करता

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3 SEP 2023 AT 13:14

उसकी आंखों में देखा तो देखा मैने
के पाक सा इश्क बैठा था सहम कर

बोला के मेरे अब्बा साथ हैं मेरे
मार देंगे मुझे, थोड़ा सा रहम कर

देख लिया मुझे इस की खुशी मना
न मुझसे बिछड़ने का बेवजह गम कर

खुद भी रोकर न रुला मुझे तू इतना
जिंदगी जीनी है, ना इतना सितम कर

तेरे ख्यालों में रहकर रह लेंगे हम भी
ना खुद रो तू, ना मेरी आंखें नम कर

ना कोशिश कर, इतना करीब ना आ
मुझे छूकर न मेरे जिगर में जख्म कर

किसी और के साथ बढ़ जा आगे
ना इंतजार कर यूंही मेरा थम कर

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28 AUG 2023 AT 10:05

उसकी गलियों में यारों कौन जाता है हर रोज़
एक गुलाब एक खत वहां रख आता है हर रोज़

किस के लिखे लफ्ज़ हैं जो उसे सोने नहीं देते
एक नज़्म एक शेर उसे वो सुनाता है हर रोज़

सुना है दिनभर वहां न कोई दिखता है न होता है
सुबह से पहले ही दरवाजा खटखटाता है हर रोज़

कभी कहे उसे चांद, कभी गुलाब, कभी कमल कहे
कभी कभी तो उसके नाम से ही बुलाता है हर रोज़

वो लड़की थोड़ी डरी है मगर खुश है इस खेल से
नजाने वो लड़का कौन है क्या कमाता है हर रोज़

सामने आए, ज़ाहिर करे अपने दिल की बातें
ये सब क्यों करता है, उसे क्यों सताता है हर रोज़

कभी लाल, कभी काला, कभी सफेद पहनना तुम
अपने हिसाब से बेचारी को नचाता है हर रोज़

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6 AUG 2023 AT 13:12

दे रहा है वो चांद चांदनी ईनाम तारीफ में
ये सूरज, ये तारे, ये बादल तमाम तारीफ में

बोले कोई रावी, कोई व्यास, कोई चिनाब
अपने हिसाब से रखे हैं नाम तारीफ में

हंसी, खुशी, रौनक सब बेचती है वो
गम खरीदने का दे रखा है काम तारीफ में

एक पूरे कबीले का सरदार मानते हैं लोग
हर एक बंदा करता है सलाम तारीफ में

के कान के पीछे टीका लगाना लाजमी है
ये हवा ले आई है उसका पैगाम तारीफ में

के छू कर जिनकी उम्र बढ़ाती हो तुम
हो जाते हैं वो गुल फिर नीलाम तारीफ में

जुगनू, चिड़िया, तितली सब आती मिलने
एक बड़ा जश्न होता है उस शाम तारीफ में

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30 JUL 2023 AT 9:33

कुछ दूर ही तो चले थे अभी हम
इतनी जल्दी ये शाम ढल गई कैसे

मैं सोचता था के गले मिलेगी वो
वो हाथ मिलाए बिना चल गई कैसे

वो बस मुझपे ही ठहरी है, ठहरी है
इतनी बड़ी गलतफहमी पल गई कैसे

मैं सुबह शाम देखूंगा उसका ही चेहरा
मेरे ख्वाब हाए वो कुचल गई कैसे

चार सालों से आंखों पे रखी थी
जीती बाजी हाथों से निकल गई कैसे

मैं तो संभाले न संभल रहा उसके बाद
मेरे बाद वो फिर संभल गई कैसे

कोई तो होगा, जो ख्याल रखता होगा
वो लड़की, इतनी जल्दी बदल गई कैसे

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