** काबिल-ए-तारीफ **
जो इंसान आपको फर्श से अर्श तक ले जाने के लिए सीढ़ी का कार्य करता है,वो इंसान तारीफ के काबिल है।-
क्या खूब हैं हम लोगों की फितरत, कि
बलात्कार पुरुष करता है ।
और मुँह छिपाती हैं महिलाएं ।।
न्याय की गुहार लगाते लगाते मर जाता हैं ग़रीब ।
और पैसा देके न्याय ख़रीद लेता हैं अमीर ।।
पुरूष की दलीलों पर हैं नही किसी को विश्वास ।
और महिलाओं की झूठ सुनने को हैं हज़ार ।।
हर कोई कहता, करो इज्ज़त अपने माता - पिता की ।
और खुद छोड़ आते हैं वृद्धा आश्रम के दरवाज़े पर ।।
अरे किस - किस की कमियां यहाँ लिखूँ,
ऐ राधे अब तो रो पड़ी हैं मेरी कलम ।
इस इंसान रूपी गिरगिट को देख कर ।।-
अगर किसी इंसान को तुम्हारे रोने पर भी हंसी आने लगे
तुम्हारे दुख को देख कर वो मुस्कुराने लगे तो समझ लेना उस इंसान की इंसानियत खत्म हो गई।-
सुनो!शर्मिंदा तो नहीं हो न तुम अपनी कारगुज़ारी पे!!
अख़बार अब पढ़ा नहीं करते हैं मिरे शहर के लोग✍🏻-
धर्म न जोड़े इंसान को, सिर्फ अपना राग बजायें।
कौन है अच्छा कौन खराब, सिर्फ ऐसा राग सुनायें।-
हमने इंसानो को अपनी औकात भूलते देखा है,
जब हमने रोटी को कूड़े में फेंकते देखा है।
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किसी की शख़्सियत इंसान के
जीवन मे बहुत कुछ कर जाती हैं।
या तो ख़ुद बन जाती है, या..
फिर अगले को बना जाती है।-
।।की चलो फिर इंसान बनते है ।।
की चलो फिर इंसान बनते है ,
भूल गए थे जो गलतियां अपनी उन्हें फिर याद करते है ,
चलो फिर इंसान बनते है ....।।१।।
धरती हमारी जागीर नहीं याद करते है
इसपर बसे सारे जीव जंतु का समान अधिकार है धरा पर,
चलो उन्हें भी यह एहसास दिलाते है,
की चलो फिर इंसान बन जाते है..।।२।।
इंसानियत को दफनाया था जहां ,
चलो फिर आज वहां चलते है,
मां बहन कि तरह हर नारी को इज्जत देते है
और
हर मर्द को शक की निगाहों से देखना और गलत समझना बंद कर देते है,
सबको जीने का समान अधिकार देते है
की चलो फिर इंसान बनते है ।।३।।
माना मुश्किल है सच की राहों पर चलना ,
पर एक बार रास्ते बदल कर देखते है ,
कि चलो सिर्फ एक कोशिश साथ मिलकर करते है,
की चलो फिर इंसान बनते है ...।।४।।
हर बार दूसरों को कोसने से बेहतर,
एक बार खुद सुधर कर देखते है ,
दूसरों की ओर हाथ बढ़ाकर देखते है,
चलो कुछ अपने और बनाते है ,
की चलो फिर से इंसान बन जाते है ....।।५।।
जो करता है वो भारत है,
इस कहावत के नतीजे आने से पहले ,
चलो ना सुधर जाते है,
नियति की चक्र में घूमने से पहले ,
की चलो फिर से इंसान बन जाते है ।।६।।
-- सुनिधि ❤️
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