उपासक की भूमिका में
उपासना ही
एकमात्र विकल्प
मुझे ज्ञात नहीं होता
किंचित
मेरी आराधना के द्वारा
समर्पित पुष्प अर्घ्य
तुम्हारे पाषाण हृदय को
कितना द्रवित करते हैं
मेरी अकथ्य प्रार्थनाएं
शब्दायित होती हैं
या अनंत में विलीन
हो जाती हैं
उपास्य बने रहो
आस्था अडिग
अनवरत अविरल...
प्रीति
३६५ :37
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7 FEB 2019 AT 19:54
4 FEB 2019 AT 10:01
मंदिर गए तीरथ गए
किया कुम्भ स्नान
मेरे गुनाहों के मगर
मिटते नहीं निशान-
31 OCT 2020 AT 21:14
तुझसे प्रेम मुझे यूँ है के
जैसे किसी मन्दिर में
कलश से बूँद-बूँद गिरता पानी..,
तू पत्थर ही सही
पऱ तुझ में मेरी आस्था है
मैं कोई मलंग.. साधु
औऱ शायद..
तू ही मेरे.. मोक्ष का रास्ता है!!
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10 JUN 2022 AT 9:09
शिव ही शून्य है
शिव ही अनंत है,
निराले हम शिव भक्त
जीवन पर्यंत है।
शिव आस्था है,
है शिव ही समीक्षा,
कृपा बरसने की
बस अब है प्रतीक्षा।।-
10 JUN 2020 AT 20:37
मानवता की असीम पराकाष्ठा हो तुम,
हे मेरे कृष्ण! मेरी पहली और आखिरी आस्था हो तुम।-
9 NOV 2021 AT 15:12
अपने भावों को एहसासों को व्यापार
मत बनाओ...
आस्था को आस्था ही रहने दो बाजार
मत बनाओ।-
11 JAN 2021 AT 11:38
फूल तो अक्सर मुरझा जाते हैं,
सच मे यदि हम याद आते हैं,
तो चलिए जनाब हम चले आते है।।-
11 JAN 2021 AT 12:59
नक़ाब उठ गया है, तो उठ जाने दो,
उस झूठ को भुलाओ और,
भविष्य को सुनहरा बनाने दो।।-