ढूँढा है जब जब मेंने खुदको तुझमें
पाया तब तब मेंने तुझको मुझमें,
बस एक ही ख्वाहिश है तुझसे ऐ रब
मेरी इस तलाश को विराम दे,
मुझे भी तुझ सी पहचान देकर
मेरे जीवन को भी एक नया आयाम दे.
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कदाचित
अंतः करण में
सतत् एक यज्ञ चलता है
समझौते की लकङियों पर
भावनाओं की आहुतियों से
अग्नि प्रज्वलित की जाती है
ख़्वाहिशों का नैवेध पाकर
अग्नि अतिशय भङकती हैं
संयम और धैर्य के जल से
अंततः स्वतः ही शांत हो जाती है
फिर फैलती है शांति की सुगंध
जो मन मस्तिष्क को नये आयाम देती है
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संस्कार हमें बंधनों से
जोड़ना सिखाती है,
हर रिश्ते की डोर
बांधकर रखती है,
अच्छे विचार हमारे
मान को नए आयाम,
और नए पंख देती है-
मेरी धड़कनों की रवानी तुमसे है
मेरी सांसें आनी जानी तुमसे है
मेरी मोहब्बत मेरी चाहत तुमसे है
मेरी आरज़ू मेरी जुस्तजू तुमसे है
मेरे दिल पर तेरा हीं एक नाम है
अपनाले मुझे तू बस यही आयाम है
माला जपती हूं तेरी नहीं कोई काम है
तुम्हारे बिना वेदी यूं हीं गुमनाम है..-
तेरे दिल की नादानियों ने हमें काफ़िर से मुसलमां बना दिया
पर तूने तो हमारे इश्क़ को नजरअंदाज कर दिया-
सफ़र-ए-जिंदगी का बस एक आयाम है,
राहें तो हैं बहुत, पर मंजिल एक श्मशान है।
-Satty-
इक़ नया आयाम ,
इंतजार में है तेरे ,
पंखों को अब...
पुरजोर तू फड़कनें दे ।
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अरमान तुम ही हो पहचान तुम ही हो
कमजोर पड़ती धड़कनो की जान तुम ही हो
शाम तुम ही हो रात की खामोसी का आयाम तुम ही हो
इस ओर तुम ही हो उस ओर तुम ही हो
चमकती ओस की बूंदों सी भोर तुम ही हो
आस तुम ही हो प्यास तुम ही हो जीवन की पहली
सांस के जैसा अहसास तुम ही हो
यह कोयल यह झरने सब कहने को है इन सबको जो साज़ दिए है वो आवाज़ तुम ही हो
कल फिर सूरज डूबेगा फिर पंछी घर को लौटेंगे लेकिन अनबरत रहने वाला आसमान तुम ही हो
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ये नदियां ,ये बदलता मौसम
ये झरने ,ये पर्वत पहाड़
कभी भी देते है दहाड़
ये फिजाएं, और ये हवाएं
और ये धूप,और ये घटाएं
बदल देते है,पल भर में रूप
ये कुदरत, और उसका हिसाब
अपना कर्म ,और कर्म का किताब
कभी भी जा सकते हैं , खोले
तेरा गुरूर, और तेरा सुरूर
ये अज्ञानता,और महानता
पल भर में जाता शीशा जैसा टूट
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