Sunil Kumar   (दिशा दर्पण)
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सुनिल कुमार
Joined 5 February 2020


सुनिल कुमार
Joined 5 February 2020
15 FEB 2022 AT 12:40

प्यार का मीठा दर्द

हुआ दूर तो ,याद आने लगी
रात में बेमतलब सताने लगी

अब न लगने लगा ,एक थोड़ा सा भी मन
बस याद आने लगी हर पल पल जाने मन

कटे नही कट रहा है दिन ,जी रहा राते गिन गिन
प्यार की नसा में चूर हुआ,बिन तेरे मजबूर हुआ

अब तो रहम करो जाने मन, आ भी जाओ न
तड़प रहा दिल मेरा,आके जान भी ले जाओ न— % &

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23 JAN 2022 AT 12:12



एक नजर में," पहचान "

देश को नेता से ,बाप को बेटा से
आदमी को बात से,छोटे को जात से
क्रिकेट को बेट से,कंप्यूटर को नेट से
मिस्त्री को सेट से, बड़े को गेट से
कामचोर को लेट से, समान को वेट से
कविता को अर्थ से, दोस्त को शर्त से
दुश्मन को चोट से,पड़ोसी को खोट से
इंसान को व्वहार से,जानवर को आहार से,
पेड़ को पता से,नेता को सत्ता से
अनजान को पता ,ज्ञानी को गीता से

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22 OCT 2021 AT 17:13

ख्याल आया

मैं टूटा जरूर हूं, पर रूठा कहां हूं तुम से
मै पाया नहीं हूं, पर खोया भी नहीं हूं मैं

जो हसरत थी मेरी, वो जलाया नहीं हूं मै
पर जो किस्मत थी मेरी, पाया भी नहीं मै

अस्क मेरे थे,गिराई वो,नज़्म मेरे थे गाई वो
हुस्न था उसका,ईश्क मैंने जर से किया

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26 MAR 2020 AT 16:41

" कल का मानव"

कल का मानव कैसे हुआ दानव
इस बात को उठा लो ,
करो दो सवाल खड़ा
वरना हो जाएगा मुश्किल बड़ा
आज जो देख रहे हो
इससे कुछ शिख रहे हो
आज जो आए है चपेट में
कोरोना की लपेट में,
मौत का बज रहा तांडव
गांडीव धनुष उठाने को
क्या आयेंगे पांडव नहीं
ये तो सिर्फ आहट है
फिर कैसा घबराहट है
अभी तो सिर्फ सन्नाटा है छाई
अभी विकराल रूप कहा अाई
ये तो आग का एक झोंका है
प्रकृति ने बहुत कुछ रोका है
संभलो और सभालो देश को
आपसी में मिटाओ क्लेश को
मत बन जाओ दानव
मत भूलो हो तुम मानव



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22 OCT 2021 AT 15:49

फिर वही यादें,

लौट आईं

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20 AUG 2021 AT 19:27

ये मत समझ पगली,की मै दूर हूं
बस थोड़ा समय से मजबुर हूं ।
ये मत सोच की मै भूल जाता हूं
बस समय में कभी चूक जाता हूं



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2 AUG 2021 AT 16:05

जीवन की चंद घड़ियां, पल भर में हो जाएगी समाप्त
जो है ,वह अच्छा है,और वही सच्चा है और है पर्याप्त
बीत रहा जो पल,ना आने वाला है कल,मत टाल कल
हर पल बना खुश नुमा,और ना होने दो गम किसी पल

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21 JUL 2021 AT 6:02

दोनों मसगुल होके बाते करते है

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20 JUL 2021 AT 20:44

# दर्द #

दर्द ने भी इतना दर्द दिया कि
दर्द ना हो तो दर्द होने लगा

दर्द लेने का आदत सा हो गया है
रूह मेरा दर्द में ही मिल गया है

दर्द का और रिश्ता मेरा अटूट सा है
बिन दर्द शरीर अब मेरा टूटता है

दर्द में ही अब शुकून होने लगा ,दर्द ना
अगर मिले तो दर्द लेने का जुनून होने लगा

ये दर्द ही है ,जो दर्द का एहसास दिलाता है
मगर दर्द ही जीने का आस भी बन जाता है

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20 JUL 2021 AT 20:27

ज़ख्म

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