ना ही वो दुर्बल है, ना ही वो बेचारी है,
ना ही वो अबला है, ना ही वो कमजोर है,
ना ही वो असहाय है, ना ही वो नासमझ है,
किसी से कम न समझ लेना उसे,
वो तो आज की आधुनिक नारी है,
वो नारी जो कुछ भी कर सकती है,
वो नारी घर के साथ देश संभाल सकती है,
वो नारी जो कदम से कदम मिला कर चलती है,
वो नारी जो हर मुश्किल का हल निकाल लेती है,
वो नारी जो हर क्षेत्र में अपना योगदान देती है,
वो नारी जो किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है,
वो जो चाहे वो सब कुछ कर सकती है,
वो आज की आधुनिक नारी है,-
वे अत्याधुनिक लड़कियां जिन्हें
फैशन और स्टाइल के अनुसार,
कपड़े, गहने पहनना पसंद था
काले मोतियों की साधारण माला,
बांधती है अब हर दिन खुशी से,
जो बालों के तनिक बिगड़ने पर
तुनक जातीं थी मां के सम्मुख
आज सीधी मांग में भरतीं हैं
हर दइन दो रत्ती सिन्दूर खुशी से,
-
हाँ हूँ मैं बेबाक, आज के हर
मुद्दे पर बहस कर सकती हूँ
इसका मतलब यह कतई नहीं है
कि मैं गैर जिम्मेदार हूँ और
नैतिक आचरण नहीं है मुझमें
है मुझमें भी नैतिक मूल्यों का
समावेश किन्तु समयानुसार
हर चीज में बदलाव आया है
तो फिर मेरी सीमाओं में भी
बदलाव आयेगा ही
आधुनिक युग की नारी-
आधुनिक नारी की मांग
एक अदद सा घर,
तन पर सुंदर जेवर,
एक आलीशान लारी,
पर मैं ना बनूंगी सिया सुकुवारी
कुछ ज्यादा तो नहीं मांगा?
आधुनिक पुरुष की मांग
कुछ बॉटल के शॉटस,
थोड़ा चखना और झूठी ठाठ,
सुंदर सी माशूका,हो जिसपे अपना रौब,
ना हो खुदा ना किसी बन्दे का खौफ!
कुछ ज्यादा तो नहीं मांगा?
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लगता है
पाश्चात्य संस्कृति का सारा जिम्मा
आधुनिक नारी के कांधे है ।-
*स्त्रीत्व*
आधुनिकता के लिबास में
सिमटी, सकुची,
स्वावलंबन की आड़ में,
अंग प्रदर्शन की सीमाएं लाँघती,
शील, सौन्दर्य, श्रृंगार की परिभाषा बदलते हुए,
मेनका, अप्सरा को लजाती,
नई पीढ़ी की स्त्री के अंदर,
स्वंय को ढूंढता हुआ
बेबस लाचार नजर आता है
उसका "स्त्रीत्व"
डी के निवातिया-