सूरजमुखी से तुम्हारे चेहरे में मानो बहार हैं
जिसे देखकर इस दिल को आता करार हैं-
गुम हो जाते हैं लोग कभी राहों पर चलते-चलते हैं
और कभी कभी उन्हीं रास्तों में खो जाते हैं
इश्क हो जाता हैं यूं ही दो पल में
उसको मुकम्मल बनाने में इक उम्र निकल जाती हैं
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ये आंखें उठे तो
कयामत लाती हैं
और झुके
तो इस दिल को तड़पाती हैं-
आंखों ने आंखों ही आंखों में सब कह दिया
आंखें देखती रही और रूखसारो ने
शर्मा कर अपना फैसला सुना दिया-
तुम्हारी आंखें तिलिस्मी तो है
वरना तुम ही बताओ किसको ऐसा जादू करना आता हैं-
कुछ दिलकशी तो हैं आंखों में
वरना यूं ही थोड़ी दिल उनमें डूब जाता-
ये दिल स्वच्छंद विहार करता है
बेख़ौफ़ हैं ये सबसे
ये कहां किसी से डरता है
आ जाए गर किसी पर
तो जीना मुहाल करता हैं
बेमतलब के सैकड़ों सवाल करता है
फंस जाए गर प्यार के भंवर में
कोई नहीं जानता कि
फिर कैसे बाहर निकलता है-
जो कहना थी
कुछ बातें थीं जो छूट गईं
कुछ लफ्ज़ रूठे
तो जज़्बात ख़फ़ा हुए
दुनिया मानो थम सी गई
हम वक्त की लहर में
अपनी पतवार थामें बह गए-
ही तो मिलें थे हम
तब अनजान थे एक-दूजे से
फिर मुलाकातें हुईं और बातें हुई
हम अक्सर मिलने लगे
ख्वाब बुनने लगे
दोस्ती कब प्यार में बदल गई
इससे दोनों ही तो थे बेखबर
अचानक बदल गए फिर शहर
इस वादे पर कि मिलेंगे हम मगर
आज कितने सालों बाद उसका चेहरा नजर आया हैं
मानो यादों का संदूक कोई खुला छोड़ आया हैं
प्यार को मानो अंजाम तक पहुंचाया है
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