प्रेम कभी भी दु:ख का कारण नहीं बनता,,,
अपेक्षायें और अहंकार आपको घायल कर देते है...
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तुम समंदर से भी गहरे हो
और आकाश से भी ऊॅंचे
हम सब ज्ञान और बोध की प्यास से व्याकुल हैं
प्रेम सिखाता है हमें वो सब ,,,,जो दुनिया के तमाम धर्मग्रंथ हमें नहीं सिखा पाते.......
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तुम्हें भुलाने के लिए
कैनवास पर रंग बिखेरे
हमने चित्र सजाये,,,,,
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कोई कविता नहीं लिखी तुम्हारे लिए
तुम,,,,,,,,,, फिर भी याद आये...........-
ज़िंदगी की राहों में वफ़ाओं का शज़र होती हैं;
किताबें हमारी ख़ूबसूरत हमसफ़र होती हैं.......-
किसी रोज़,,,,
जो मैं रख जाऊॅं
तुम्हारे दरवाजे प्रेम के पारिजात
तो,,,,,,,, तुम क्या कहोगे!!-
ये नज़्में
ये ग़ज़लें
ये शेरों-शायरी
सब दिखावा है,,,,,,,
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सच तो ये है कि... "मुझे तुम्हारी याद आती है।।"-
रात
चाॅंद
और तुम,,,,
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हवा
ख़ुश्बू
और बादल,,,
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प्रेम
प्रकृति
और कविता
कितना कुछ है डूब जाने को.......
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तुम्हारी सब उदासी
अपनी चूनर में बाॅंधकर
उड़ा दूॅं हवा में कहीं,,,,
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और तुम्हारे होंठों पर रख जाऊॅं
एक चिर परिचित मुस्कान......-