काॅंटों भरे रास्तों में चलते -चलते
यूॅं ही किसी रोज़
जब तुम्हारे तलवे हो जाऍं छलनी
तब तुम,,,,,, किसी छायादार वृक्ष तले विश्राम करना
और फिर,,,,,रास्ता बदल देना...........-
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जो मिलता है उसे कहाॅं सोचता है मन;
वो जो खो गया है उसे ही खोजता है मन।-
सबको सब कुछ नहीं मिलता यहाॅं ज़िंदगी में;
प्यार है सब्र है वफ़ा है फिर भी तन्हा हैं लोग ज़िंदगी में..
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फ़क़त ये मेरी और तुम्हारी कहानी नहीं है;
हैं और भी लोग जो उदास हैं ज़िंदगी में......
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ये उदासी भी कब तलक सतायेगी भला;
बहुत रंगी है सफ़र मिलेंगे और भी लोग ज़िंदगी में....
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न मिले कोई तो गिला क्या करना;
खुद की सोहबत भी जरूरी है ज़िंदगी में......
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कैसे कहूॅं मोहब्बत इबादत ये सब छलावा है;
इसके अलावा और है ही क्या ज़िंदगी में.....
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हवाओं के झोंके
बारिश की बूॅंदें
और पहचानी-सी कोई कविता
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सितारों की महफ़िल
चाॅंद की रोशनी
रात का कोई फ़साना
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"यूॅं लगता है कि,,,,, तुम हो।"
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वे फूल जो बासी हो जाते हैं
प्रवाहित कर दिए जाते हैं,,,,
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पानी जो निरंतर प्रवाहमान है
अपनी मस्ती
अपनी हस्ती साथ लिए चलता है......
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