Pen's Pearl   (@niv@tiy@dk)
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Joined 29 April 2018


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YESTERDAY AT 12:54

कैमरे ने कहा !
मुझे कैद करना है
झूमते दरख्तों की,
बलखाती टहनियों को
मैंने जैसे ही कैमरे का
रुख किया पेड़ों की और
ग्लानि से भरे स्वर में
बोल उठा,
इस मंजर की आशा न थी,
ऐ मानव ये तूने क्या हाल कर दिया,
शुद्ध हवा में ये कैसा ज़ह्र भर दिया,
रो रहे है ये दरख्त फ़िज़ाए उदास है,
विकास की राह विनाश ही विनाश है!!

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15 JUN AT 11:30

जिन्दगी को इस कदर बंधनों में निहित कर दिया हमने,
रिश्तों को भी दिन विशेष तक सीमित कर दिया हमने!
निज जीवन में एक दूजे से इतने दूर होते चले गए सब,
मात-पिता भाई-बहन को दिन नामित कर दिया हमने!!

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14 JUN AT 18:18

खास अपने पास रहा कुछ भी नहीं,
वैसे बताने को, हुआ कुछ भी नहीं !

सब वहीं पुरानी यादें वहीं किस्से है,
जिन्दगी में अब नया कुछ भी नहीं !

हम लुट गए दिल-ओ-जान से यारों,
दुनियां की नज़र गया कुछ भी नहीं!

दर्द-ओ-गम, तन्हाई, बेवफाई से गुजरे,
उनकी नजर हमने सहा कुछ भी नहीं !

कोई कोर कसर बाकी न रहीं सताने में,
वो कहते है उन्होंने कहा कुछ भी नहीं!!

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14 JUN AT 18:04

जब मुहब्बत ने उसकी कोई असर न छोड़ी,
फिर हमारी तजलील में कोई कसर न छोड़ी !

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14 JUN AT 9:08

मन को अपने नाराज मत करो,
तबीयत अपनी नासाज मत करो,
अपने आप को मज़बूत बनाओ,
खुद को तुम नजरंदाज मत करो !!

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13 JUN AT 18:15

शहर-ऐ-इश्क़ की जुल्मात, कभी तो दूर होगी,
कभी तो मुहब्बत के जुगनू दिल में जगमगायेंगे!!

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13 JUN AT 17:27

जब से गलतफहमियों के शिकार हो गए,
सबकी नज़र में तब से हम बेकार हो गए !

ना किसी काम के रहें ना किसी काज के,
मुहब्बत में इस कदर हम लाचार हो गए !

बड़े अख्तियार से अपना हक जताते हो,
अरे! आप कब से हमारे सरकार हो गए !

न मुहब्बत का जुर्म किया, न बेवफ़ाई का,
न जाने किस तरह से हम खतावार हो गए !

'पकड़कर 'धरम' का दामन सदा चलते रहे
बताये फिर किस क़ुसूर में गिरफ्तार हो गए!!

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13 JUN AT 17:07

हर मुश्किल का हल होगा,
आज नहीं मानो कल होगा,
कर्म पथ पर डटे रहो तुम,
तय वक़्त मिला फल होगा!

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13 JUN AT 14:00

अपना कौन......? कौन यहां
जगत में ....... पराया है......?







खुशी क्या है...... क्या ग़म......
दुनिया में.........? सब छलावा है..??

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12 JUN AT 17:52

मझधार में अटकी कश्ती तूफ़ानों का दौर है,
डगमगाती ज़िन्दगी में जज़्बातों का शोर है!








राह कोई नजर नहीं आती किनारा भी दूर है,
चारों और रात स्याह अंधेरा दूर अभी भोर है!!

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