बेहद मोहब्बत करते हो ना छोटी-छोटी आदतों से उसकी
याद रखना यादों में तब्दील हुई तो बड़ा मसला हो जायेंगी-
तुम अपनी आदतों से बाज आ जाओ
वरना हम तुम्हें चाहने की अपनी आदत सुधार लेंगे-
चाहत ,
फिकर ,
सादगी ,
वफा ,
मेरा इन्हीं बुरी आदतों ने
मेरा तमाशा बना दिया .......-
छोड़ा भी नहीं जाता
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छोड़ा भी नहीं जाता
अब उन यादों को कहीं दूर जा कर
जिसे सजा कर रखा है मन में पर
अब जिया भी तो नहीं जाता
इन यादों के साथ जो हर वक़्त
बहुत रुलाती है
किसी ना किसी बहाने से
मेरे पास आती है
फिर छोड़ा भी नहीं जाता
इन यादों को मन से
क्या करूं अब तो
इन यादों को यादों में जीने की
आदत पड़ गई है और
आदतों को इतनी आसानी से
छोड़ा भी नहीं जाता-
कुछ शिकार हुए हैं, नशीली आदतों के।
कुछ अब भी डूबने का नशा ढूढ़ते हैं।।
(अंजाने में)-
आदतों का जमाना है जनाब...
वक़्त पे बदलते रहिये,
क्या पता आदतें कब जरुरत बन जायें।
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आदतों में अपनी,
शरारतें शुमार कर लो
जाने कब जिंदगी,
संजीदगी का दामन थाम ले।
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क्या तुम आदतों में अपनें
शुमार कर रही हो मुझको ?
डर भी लग रहा है जताने में
और प्यार कर रही हो मुझको !-
" तु आदतों में कुछ सुमार सा है ,
लगता हैं ये दिल कहीं नसाज सा है ,
बन जा तु हमनवां मेरे ऐसे में ,
तेरे बिन कुछ मायुस सा रहता है ."
--- रबिन्द्र राम-