हर बात को दिल से लगाते क्यों हो?
जिंदगी को इतनी मुश्किल बनाते क्यों हो?
जो साथ रहकर साजिशें रचें बस,
ऐसे दोस्त से हाथ मिलाते क्यों हो?
गलतियां हर शख्स से होती ही हैं,
इन्हें सोचकर इतना पछताते क्यों हो?
होना पड़े शर्मसार हर बार तुम्हें जहां,
ऐसी महफ़िल में फिर जाते क्यों हो?
पूरे हो न सकेंगे जो कभी भी,
ख्वाब हजारों ऐसे सजाते क्यों हो?
हो जाएंगे खाक तेरी मोहब्बत में एक दिन,
प्यार इतना हमारा आजमाते क्यों हो?
हमसे ना मिलो ना सही लेकिन,
किसी और से मिलकर जलाते क्यों हो ।
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