जीवन का कैसा ये विराम है !
इतनी सस्ती ...
ये सांसे क्यों ?
रिश्तों के बहते आसुं ,
लगते हैं मंहगे क्यों ?
कफन की ,
वो सफेद चादर ....
सस्ती क्यों ?
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देख माँ ख़ुद को मैं हटा भी न पाया
दुनिया के दलदल से बचा भी न पाया
ग़म दबा के कब तक रखूँ अपने दिल में
रुला के तुझको माँ हसा भी न पाया
चाहता तो था मैं तुझे सब बता दूँ
लग गले सारे ग़म भुला भी न पाया
तेरी आँखों में आँसू आ देख कर माँ
चैंन से ख़ुद को मैं सुला भी न पाया
माँ दिखाना पूरा जहाँ चाहता था
माफ़ करना माँ मैं दिखा भी न पाया
इक लिखा था ख़त बस तुझे और तुझको
मैं बिठा के तुझको सुना भी न पाया
उसकी आँखों में देख के लगता मुझको
फ़र्क़ माँ को "निर्भय" करा भी न पाया-
हालातों से हारे
वक्त के मारे
तुम भले ही दुनिया को लगो बेचारे
मगर जिन्दगी की डोर को
ना छोडना "आत्महत्या" के सहारे
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🚫आत्महत्या🚫
परिस्थितियों से हार कर
समस्याओं से डर कर
हालातों से घबरा कर
जिंदगी से बौखला कर
आत्महत्या की साजिश ना रचा कर
सारी जिंदगी लग गयी तुझे संवारने में
मेरी कोख़ मेरी गोद मेरे बलिदान का तू
इस तरह............अपमान ना किया कर।
【एक माँ की विनती अपने बच्चों से】-
थकता कौन नहीं जीवन में हर किसी ने यहां विराम लिया,
गलती इसमें तेरी ही रही, क्यूं तूने पूर्ण विराम लिया,
तू वीर है, रणधीर है, तुझको ना ये सब भाता है,
तू देख ज़रा कि संग तेरे कौन यहां पर आता है,
ये सब मन का वहम मनु है, तुम इसको मत पालो
तुम देव बनो और खुद को, इन सब से बाहर निकालो...-
इश्क़ में मरना यह शायद मोहब्बत की गली का सबसे प्रचलित इश्तेहार है, यह एक ऐसा जानलेवा इश्तेहार है जिसके साथ कोई वैधानिक चेतावनी भी नहीं रहती।
ध्यान दें, इश्क़ में मरने और इश्क़ में आत्महत्या करने में बहुत फर्क है।
(Note: suicide can't be a solution)
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किसान
लाया था कीटनाशक पौधों के लिए ,
जाने क्यूँ वो उसे , खुद ही पी गया ।
किसी को दर्द न हुआ उसके मरने पर ,
गमों का मारा था , फिर भी बहुत जी गया ।-
डर जाता हूँ उन पदचिन्हों को देख कर
जो लहरों की ओर जाते तो हैं
पर लौट कर नहीं आते।-