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📘✍🏻 #जय_भीम
📘✍️28 जून 1922
विश्वरत्न डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर जी 🙏को #ग्रेज़_इन_लंदन की #न्यायपालिका द्वारा #बार_एट_लॉ 🧛( #बैरिस्टर ) की #उपाधि_से_सम्मानित 🗞️किया गया।
📘✍️28 जून 1929 @MeenaYashavant
मुंबई में #महार_जाति का #पहला_वैदिक_विवाह बाबासाहेब #अम्बेडकर जी और #माता_रामई की उपस्थिति में हुआ था।
📘✍️28 जून 1931
बाबासाहेब अम्बेडकर ने #अहमदाबाद के #प्रेमभाई_हॉल
में अपने भाषण में कहा कि
#छुआछूत_दुनिया_की_सभी_गुलामी_से_भी_भयानक_है
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आह !
समय संताप में
ये कौन— चुपचाप सा बैठा है...
एक शहर
अहमदाबाद—
रानी की वाव में..
संक्रमण की नींद गहरी सोता है...
गरबे के पाँव
घर रख...
शहर— सड़क पर निकलता है
एक शहर
अहमदाबाद—
सूनी बावड़ी सा सूखा लगता है..... ।
कविता
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और फिर तुम अमदावाद की धुप
से अमदावाद की बारिश बन गए।
पहले जाते नहीं थे, अब आते नहीं !-
जहाँ भजिये वाला एक इंजीनियर से भी ज्यादा कमाता है वो शहर है अहमदाबाद
जहाँ बिना वजह रास्तों पे फालतू जगडे की वजह से भगदौड़ मच जाये वो शहर है अहमदाबाद
जहाँ पैसे वाला भी पनीपुरी के ठेले पे खड़ा रहेके मसाला पूरी माँग के खाये वो शहर है अहमदाबाद
जहाँ ऑटोरिक्शा वाला हर गल्ली हर रास्ते को जानता पहेचानता हो वो शहर है अहमदाबाद
जहाँ लड़कियाँ बिना खौफ के आधी रात को कहीँ भी आये जाये वो शहर है अहमदाबाद
जहाँ बिना किसी रिश्ते के हर कोई आपकी मदद को आगे आ जाये वो शहर है अहमदाबाद
जहाँ हर त्योहार का अपना हो मजा और अपनी हो धमाल वो शहर है अहमदाबाद
जहाँ रात होने पर भी सवेरे जैसा महौल छाया हुआ मिल जाये वो शहर है अहमदाबाद
जहाँ पानवाले भी गूगल से ज्यादा रास्तों की ख़बर रखते मिले वो शहर है अहमदाबाद
जहाँ दुनियाभर की पतंगों से आसमान में छा रही रंगिनियत हो वो शहर है अहमदाबाद
जहाँ जैसी खाने की लहेजत और विविधता किसी और शहर में ना हो वो शहर है अहमदाबाद
जहाँ की गर्मी और ठंड की दुनियाभर में कोई मिसाल नही है वो शहर है अहमदाबाद
मेरा आपका हम सबका प्यारा सबसे अनोखा सबसे सुंदर सबसे पावन शहर है अहमदाबाद
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खुशियों के पल आबाद रहें,
खुशहाल अहमदाबाद रहे.!
सदियों तक कायम नूर रहे,
मानवता की बुनियाद रहे,
आबाद अहमदाबाद रहे.!
कुछ पल जो तेरे साथ मिले,
ताउम्र मुझे वो याद रहें..!
आबाद अहमदाबाद रहे.!
सिद्धार्थ मिश्र-
अतीत के भव्य पन्नो से निकलता है नाद,
आधुनिकता में भी देता रहा वो साद,
कुछ ऐसा ही है अनुठा अहमदाबाद।-
घर, दुकान, गाड़ी जला कर, बस्ती उजाड़
कर चला गया
ये कैसा शान्तिदूत है यारों जो सबकुछ
जलाकर चला गया
हमने जब-जब देखा तब-तब धर्म को
मजहब जला गया
आतंक का कोई मजहब नहीं हर बार ये
कह कर छला गया
ये मजहब अपनी करतूतों से जब-तब
मानवता को हिला गया
ये मजहब जिस भी मुल्क में हावी है वो मुल्क
गर्त में चला गया
मन्दिर बचा के मजहब और आग लगा के
भीड़ बन गया
ये कैसा शान्तिदूत है यारों जो सबकुछ
जलाकर चला गया
💦🤔💦-
उफ्फ़! येह गर्मी अहमदाबाद की,
हर कोई नहीं सह पाता,
पर तेरे साथ धुप मैं भी खड़ा रहना अच्छा लगता है।।
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