मैं पढूंगा नमाज़ कभी,
तो कभी तू भी शाम की आरती गाना
मैं बनूंगा क़ुरान तेरी,
तो तू भी मेरी गीता बन जाना।।-
.
.
.
❤️शोख़ नहीं लत्त बन्ना चाहता हूँ किसीका❤️
मोहोब्बत मैं पागलपन कुछ इस कदर सवार हो गया
मैं साहिल पर बैठा बैठा दरिया पे सवार हो गया
फकत छू कर ही तोह गया था वो मेरे होठों को
मैं उसके इश्क़ मैं न जाने कितना बीमार हो गया।-
मैं जब मंदिर जाता था तब वो मस्जिद जाती थी
मैं तिलक लगाए रहता था वह बुरखे मैं आतिथि
मैं नमश्कार उसको करता था
वो अस्लाम वालेकुम कहती थी।।
-
मेरा इश्क़, मेरी मोहोब्बत सब उसीका ईमान है
वोह मेरी ज़िंदगी शौहरत और वहि मेरी शान है
क्या फ़र्क़ पड़ता है इस ज़माने को मेरे इश्क़ से
हां मैं मानता हूं की मैं मंदिर का पाठी हूं और वो मेरी क़ुरान है।।
-
उफ्फ़! येह गर्मी अहमदाबाद की,
हर कोई नहीं सह पाता,
पर तेरे साथ धुप मैं भी खड़ा रहना अच्छा लगता है।।
-
Love is not a game to play, because when your opponent give up, you are not a winner!
-
मुझे वो बेहद पसंद थी
करीब उसके बेखूब गया
समंदर मैं तैरना सिखा था मैंने
मगर उसकी आँखों में डूब गया।।-