विनयशील हम
पर हम पर भी विनय का नशा है
सोचे बहुत कुछ हम
पर अहम तो अन्दर भरा है
खुद पर गर्व होना तो सही
पर अहम का न सही रास्ता है
अहम टकराए जब अहम से
आहत मन होता है
सुबक सुबक कर बीते रात
पर अहमी मन कहां सुनता है
अहम का एक बीज भी
सम्पूर्ण पेड़ जब बनता है
अंकुरित करता नए नए सवाल
जब ये फलता फूलता है
न देख पाता कभी यह अच्छी दोस्ती
ये तो दोस्ती ही तोड़ता है
थोड़ा तू बदलना
थोड़ा मैं बदलती हूं
चलो न अहम को जड़ से उखाड़ फेंकती हूं
यह अहम ही वहम को जगह देता है
तेरी कसम यारा ये तोड़े याराना
अहम ही तो बांटे दिलों को
अहम से तू मुंह मोड़ ले
एक बार दिल से पुकार
आएगा तेरा यार
-