मैंने लिखना चाहा था,
प्रेम का अविरल गीत सुनो,
दुनिया को क्यों सौंपूं मैं,
आओ मेरे मीत सुनो..!
बदल गए पल में तुम भी,
जैसी जगती की रीत सुनो,
मैं खड़ा हूँ आज वहीं अविचल,
ऐसी है मेरी प्रीत सुनो.!
मैं हार गया बस तुमसे ही,
लो तुमने पायी जीत सुनो!
स्वतंत्र सुनो सिद्धार्थ बनो,
अब धारण कर लो पीत सुनो.!
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