मीना जोशी   (Joshi's wordings✍)
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Joined 17 February 2020


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Joined 17 February 2020
29 OCT 2021 AT 9:11

Raising a person's standard
of living is a good thing,
but raising the standard
of his thinking is more
important. Only then is
progress in the real sense.

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6 JUL 2021 AT 18:52

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27 MAY 2021 AT 12:12

खुशहाली सदा तेरा दर चूमें,
खुशियाँ तेरे आंगना में झूमे ।
सरल सरस उदार हृदय बसता तुझमे,
रक्त धमनियों सा बसता तू मुझमे ।
अतुलनीय ईश्वर का मुझ पर उपकार,
बना भेजा तुम्हें मेरा अनुज साकार ।
करुणामयी ममतामयी स्वभाव ये तेरा,
प्राण शेष जब तलक अनमोल रतन तू मेरा..।।

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25 MAY 2021 AT 19:37

अरसों से प्यासी हिय मरुभूमी, निर्झर
नीर सा तू,
व्याकुल जब जब अंतःकरण , हर लेता
सर्व पीर तू।
निश्छल निश्कपट सरल, नयनं का नूर तू,
खिन्न ये चित्त, ओष्टों पर सुशोभित
सस्मित तू।
वेदना की उष्मा में दे शीतता, बन
सुधाकर तू,
दीप्तिमान कर जीवन को, जीवंत
प्रभाकर तू।
गमगीन जब ये उर, श्वासों में चंदन तू,
पूर्ण तुझसे प्राण, हिय हृदयस्पंदन तू।।

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9 MAY 2021 AT 12:47

निस्छल निस्वार्थ निर्झर वह प्रीती अलौकिक,
पावस मातृ प्रेम हर मनुज हिय करे आलोकित,

अंतःसलिला सा वात्सल्य व स्नेह अनंत,
सम्पूर्ण प्राणों में संचार करे वसन्त!!

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24 APR 2021 AT 22:37

"तुम जीवन संबल"

जब-जब निराशा से घिर जाती हूँ,
व्यथित या व्याकुल हो जाती हूँ,
या असमंजस में जब पड़ जाती हूँ
संबल बन तू ही कंठ से लगाती है।।

जब जब घोर विपदा सताती है,
पथ पर पगों को मेरे लड़खड़ाती है,
उर को मेरे आहत कर जाती है,
संबल बन तू ही हाथ बढ़ाने आती है।।

जब जब मन दुविधा में पड़ जाए,
हर डगर शूलों सी नज़र आए,
हिय व्योम पर पीड़ा पयोद छा जाए,
संबल बन तू ही वेदना मेरी पढ़ पाए।।

वक्ष स्थल में आश्रय लिये विराजती हो,
कष्ट पूर्ण क्षणों में सांत्वना के गीत गाती हो,
व्याप्त सर्व शोक संताप हर ले जाती हो,
सुर्मय सी तुम 'लेखनी' मेरी कहलाती हो।।

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19 APR 2021 AT 11:38

Life's journey not only
includes one's personal
and professional life,but also,
involves one's physical,mental,
psychological and
emotional journey which they
alone going through within...

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7 FEB 2021 AT 12:17

लम्हे लम्हे में मौजूद मुसर्रत तू
पल-पल जिंदगानी का अस्बाब तू
नायाब गुल मेरे गुलजार का तू....

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2 FEB 2021 AT 6:20

पग ना डगमगाए कभी मेरा....
मन ना भ्रमित हो कभी मेरा...
हे प्रभु विनती इतनी...
बढ़े जिस राह पर कदम मेरा....
अधरों पर लेके बस इक नाम तेरा..

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2 FEB 2021 AT 5:51

अकसर...

गैहान यहाँ गम़गुस्सार गमों पर जो गम़ख्व़ार है
गल़ीज़ गुस्ताख़ गुमनाम वही गर्द देता नज़रो में है

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