QUOTES ON #अमावस

#अमावस quotes

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8 NOV 2018 AT 8:41

वो तो पूर्णिमा का संपूर्ण चांद हैं,
पर उसे अमावस की दीवाली भाती हैं।

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21 NOV 2019 AT 21:32

तुम्हारी याद में ये रात कुछ यूँ गुजर गया,
चाँद की चाँदनी को जैसे अमावस निगल गया...

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21 APR 2018 AT 4:49

चौखट पर बैठी है शाम
चौखट पर ही बैठी रहती है
सुबह से रात तक
करती है इंतजार उस चाँद का
जो न आता कभी
न अमावस पर न पूनम पर

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24 JUN 2017 AT 1:10

अमावस से ही निखारती है
ये भालचंद्र की महिमा
कुछ दिनों के लिए
समाधिस्त होता है चंद्रमा
अमावस भी एक अतुल्नीय
अहसास को बिखर देती है
ठीक पूनम के चाँद जैसे
इस फैली हुई अंधकार ने
जुगनुओं की पहचान को
अब तक क़ायम रखा है
और ये अमावस भी बहुत
बहुत अतुल्नीय है अगर
आँखों से कम दिल से ज़्यादा देखा जाए तो

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27 SEP 2019 AT 8:35

Morning 🌞
किस उम्मीद से लगाएं सीढ़ियां हम फिर से
चांद हमारी छत से अब तक निकल चुका होगा

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20 DEC 2018 AT 19:18

धुंधली धुंधली तेरी यादें है, मां...
धुंधली धुंधली तेरी बातें हैं...
इन आंखों को तो देखो...
तेरे याद में सावन की बरसातें हैं...!!

धुंधली धुंधली तेरी तस्वीर है, मां...
धुंधली धुंधली तेरी मेरी मुलाकातें हैं...
इन रातों को तो देखो...
तेरे बिन अमावस की काली रातें हैं...!!

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23 JUN 2017 AT 23:46

कुछ लाल सुर्ख़ सा अँधेरा, आसमान में छाया है,
गोया चाँद भी आज कश्मीर से होकर आया है,
देखो ज़रा उसे ग़ौर से, कहीं ख़ून के छींटे तो नहीं,
इक अर्से से घाटी की अमावस तो ढली ही नहीं।

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3 JUN 2020 AT 19:51

यादों के बादल गरजे है जो आज,
लगता है अब परछाइयों की बरसात होगी।
आसमान में तो चमक रहेगी बिजलियों की, मगर
इस आंख की हर रात अब अमावस होगी।

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1 MAY 2023 AT 22:55

दूर गए प्रेम की खोज में अक्सर......
ढूंढ ही लेती हूँ स्मृति का कोई कोमल सा तना

स्मृतियों के तनो, शाखाओं पर प्यार के फ़ूलों में
ढूंढ ही लेती हूँ ,तेरे प्यार की कस्तूरी महक

ब्रह्माण्ड की हथेली से बड़ा वेदना का पर्वत
ढूंढ ही लेती हूँ ,अमावस में उम्मीद की किरण

बढ़ती दूरी से उपजती पीड़ा के बादलों से
ढूंढ ही लेती हूँ ,तेरे मधुमय प्रेम की कुछ बूंदे

विस्तृत ब्रह्मांड भरा हुआ है तम से तो क्या
ढूंढ ही लेती हूँ ,कमरे में दोनो का आसमान

अज्ञात अनजान लोक में अब तेरा ठौर ठिकाना
ढूंढ ही लेती हूँ ,दिल की गलियों में तेरा ठिकाना

मुकद्दर के खजाने में सिर्फ मजबूरियों के सिक्के
ढूँढ ही लेती हूँ, इन सिक्कों में तेरे प्यार की खनक

लापता है तेरे कदमों के निशाँ ज़मी की मिट्टी से अब
ढूंढ ही लेती हूँ, सेहरा की रेत पर तेरे कदमों के निशाँ

है लापता ,उलझी सी हुई राहें तुझ तक पहुँचने की
ढूंढ ही लेती हूँ, तुझ तक की राह, तेरे एहसास-ए-चाहत के सहारे

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29 JUN 2019 AT 18:52

अमावस को पूनम कर जाता है
छू कर मुझे वो नम कर जाता है

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