A Tribute to LEGEND 'ग़ज़लों का जादूगर', 'रेख़्ता का ताजदार' गया एक और 'लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का जानकार' गया शायरी, नज़्में, ग़ज़लें उन्होंने पढ़ीं थी कुछ ऐसे के उनका इक-इक अल्फ़ाज़ दिल के आर पार गया बढ़ जाती थी रौनक-ए-महफिल जिनके होने से उनके साथ ही साथ वो पूरा "दौर-ए-शानदार" गया— % &
हमारे इश्क़ को अब और ना आज़माया जाए बाक़ी कोई राज़ है तो आदतन उसे छुपाया जाए चाहत नहीं रही, गिले-शिकवे सुनने सुनाने की हाँ अगर कोई शेर दर्द भरा हो तो सुनाया जाए
गौर से देखा तो कई घर, कई परिवार थे तबाह हुए अख़बार में छपी स्याही को सिर्फ ख़बर नहीं कहते जग बीती जो ख़ुद पर ही आ जाती है अगर तब हम वो कहते हैं जो अक्सर नहीं कहते