मेरे जज़्बात अब बहना नहीं चाहते।
चलना चाहते हैं।
कागज़ की सड़क पर ,
कलम के पैर मांगते हैं।
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घुटन सी होने लगी है लोगों के साथ रहने में मुझे,
सुकून देने लगा है हद से ज्यादा अकेलापन अब मुझे।-
आजकल वो हमारी बातों का मतलब ना समझते हैं ना समझने की कोशिश करते हैं।
लगता हैं जैसे हमसे जुड़ा हुआ उनका
मतलब अब पूरा हो गया हैं।-
अब फर्क नहीं पड़ता कौन अपना कौन पराया है यह दुनिया मतलब से चलती है सबने ये एहसास दिलाया है,
जो कहती थी कभी हाथ ना छोड़ना मेरा आज सबसे पहले उसने ही अपना हाथ छुड़ाया है,
बने थे मेरे भी कई दोस्त यहां पर पीठ पीछे सब ने अपना असली रूप दिखाया हैं,
जो सामने करते हैं तारीफे मेरी उन्होंने भी चेहरे के पीछे अपना असली चेहरा छुपाया है ,
यूं ही कर लेता हूं सब पर भरोसा मैं लेकिन सब ने मुझे ही मतलबी और झूठा बताया है,
और यूं ही नहीं रहता हूं अकेला मैं किसी ने मेरी वफा को भी बेफवा बताया है,
और जब -जब जरूरत थी मुझे मेरे अपनों की तब- तब सबने मुझे गैरों की तरह अपना रूप दिखाया है,
और जो कहते थे तेरे साथ है हम उन्होंने ही सबसे ज्यादा मेरा दिल दुखाया है,
लेकिन अब बहुत दूर चले जाना चाहता हूं इस मतलबी जहां से मैं,
क्योंकि अब फर्क नहीं पड़ता कौन अपना कौन पराया है यह दुनिया मतलब से चलती है सबने यह एहसास दिलाया है।-
अब हिम्मत नहीं हैं किसी से दिल लगाने की
तलब नही हैं किसी को चाहने की
हौसला न रहा अपने जज़्बात बयां करने की
और नाही ख्वाहिश हैं किसी को अपना बनाने की
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हम कुछ ना कह सके उनसे इतने जज्बातों के बाद
हम कुछ ना कह सके उनसे इतने जज्बातों के बाद
हम अजनबी के अजनबी रहे ज़िन्दगी की सारी बातों के बाद
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(100) 24--8--2017
जब से देखा तुझे गुमनाम सी हो गयी
ख्यालों में तेरे फ़ना सी हो गयी
मोहब्बत है या कुछ और,,बस तुझमें ही आहिस्ता--आहिस्ता खोती चली गयी💏👫
Aakanksha...-