QUOTES ON #अपशब्द

#अपशब्द quotes

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30 JUL 2021 AT 8:25

मर्द जब गुस्से में मां-बहन के सामने ही देते हैं
दूसरे कि मां-बहन को गाली,
कहते हैं उन्हें अपशब्द
क्या वो मर्द होते हैं मानसिक दुर्बलता के शिकार,
या फिर अपनी मां-बहन के अत्याचार से इतना पीड़ित,
जो रोक ना पाते खुद को दूसरे कि
मां-बहन को अपमानित करने से,
या वो होते हैं उस समय कष्ट से इतना व्याकुल,
कि वो व्याकुलता हो जाती है बड़ी,
"मां-बहन के सम्मान से"....!!!!
:--स्तुति

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31 MAY 2024 AT 13:32

ज़रा सी अनबन ने एक अच्छे ख़ासे प्रेममई रिश्ते को तबाह कर दिया।
मैंने इबादत मानकर किया था इश्क़ उससे, उसने इसे गुनाह कर दिया।

अच्छी तरह से जानकर के किया था प्यार मैंने उसने अंज़ाम बदल दिया।
इस इश्क़ के फ़िराक में बर्बाद हो गया था मैं, मेरा काम तमाम कर दिया।

अगर वो चाहता तो मुझे एक और मौक़ा दे सकता था लेकिन नहीं दिया।
उसने इश्क़ की दहलीज़ पर लाकर मुझे सर-ए-आम रुसवा कर दिया।

शागिर्द थे हम उसके वो हमारा उस्ताद था, शागिर्दगी का ये सिला दिया।
दिल में अपने उसका आशियाना बनाया था मैंने, उसने दिल दुखा दिया।

उसकी हँसी की सदा दुआएँ करता रहता था मैं, उसने मुझे ही रुला दिया।
उसके सिवा कोई नहीं था मेरा उसने मुझे छोड़कर औरों को अपना लिया।

उसकी चाहत में मैं दुनिया भुलाए बैठा था, उसने मुझको ही भुला दिया।
उसकी यादों के सिवा कुछ न था पास मेरे, मैंने अपना सब कुछ गँवा दिया।

मैंने इश्क़ को लाखों बार बुलाया "अभि" पर उसको सुनाई नहीं दिया।
उसके सामने नीलाम हो गया इश्क़ मेरा, पर उसको दिखाई नहीं दिया।

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20 JUN 2021 AT 9:23

अपशब्द एक ऐसी चिंगारी है जो
कानों में नहीं ,सीधा मन में आग लगाती है

अत: मनुष्य को वाणी पर संयम रखना चाहिए तथा हमेशा मधुर बोलने का अभ्यास करना चाहिए ।

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13 JUL 2020 AT 11:27

कभी हमारे संस्कारों पर मत जाइयेगा साहब!

यूँ तो हम कभी किसी को मतलब-बेमतलब कुछ भी गलत कहते नहीं हैं।
और
जो हमें बेवजह कुछ भी अपशब्द या अभद्र कहे फिर हम चुप रहते नहीं हैं।।

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22 APR 2021 AT 10:04

किसी की आँखों का, मुझे अश्क़ नहीं बनना
किसी के जीवन का, अपशब्द नहीं बनना

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15 SEP 2020 AT 10:44

कुछ लोग जुबान अपनी ख़ुद गंदी करते हैं,
और लोग इल्ज़ाम उनकी तरबियत पे करते हैं।
ऐसे लफ्ज़ों का हम इस्तेमाल ही क्यों करें,
कि लोग हमारे माँ-बाप पर सवाल उठाये।

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23 AUG 2021 AT 21:57

चल रही थी आज मित्रों में अपशब्दों की बात
कमीना कहकर कर ही दी थी किसी ने शुरुआत

पहले तो सब शर्माते हुए टपका रहे थे बूंदें
फिर एकाएक शुरू हो गयी मूसलाधार बरसात

जाने कैसे अचानक बढ़ गया गाली नदी का वेग
टूटा सब्र का बाँध और बन बैठा जलप्रपात

कोई किसी से कम नहीं, लगी हुई थी होड़
गाली देव बन बैठे थे सब, दिखने लगी औकात

एक से बढ़कर एक धुरन्धर, मानो हों Ph.D.
उन सब के बीच मैं बैठा, मानो शिशु नवजात

देनी थी मुझको भी गाली, सबके लिये अनिवार्य
कैसे करता प्रिय मित्रों से, यूँ मैं विश्वासघात

अपने सम्बोधन से सबको, दे बैठा आघात
किसी को माता, किसी को भगिनी और किसी को तात

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27 APR 2019 AT 11:54

वो जो अक्सर नंगा कर देते है हर औरत को सरेआम भद्दी "गालियों" में उम्मीद कैसे रख लेते हैं बहु "घूंघट" से चेहरा छुपाये😠

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25 JUL 2021 AT 13:39

मैंने आज तक किसी को भी अपशब्द नहीं बोला,
क्योंकि अपशब्द बोलने की गन्दी आदत नहीं है...

लेकिन अगर मुझे कोई अपशब्द बोले तो, मैं छोड़ती नहीं हूँ...
सीधा मुँह नोच लेती हूँ |

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10 SEP 2020 AT 15:02

अपशब्द किसी को गर घाव देते हैं,
तो प्रेम के दो शब्द घाव भरते भी हैं।

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